पृष्ठ:आलमगीर.djvu/३०३

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प्रासमगौर कोई अपिपर नही सौंपा। या उसके पाल-पसनी बार ही म्योही मीरनुमक्षा को इसकी सूपना मिनीपारम्त रोगाची पहुंचा और सेना में अनुशासन स्थापित किया। दूसरे नाप ने मीर- हुमता को अपना प्रधिपति मान लिया और उसमे अधीनता स्वीपर परनी। इस प्रधर उसने बड़ी ही माफ्त से शाही सरकर पाया। इस सेना मे बह एकही मामी बोया-पापामा पासादा। पर्यात के प्रख भव पुर प्रतम्मद हो गया। बंगाल में वर्षा गत होती है। मीरममा ने माममाषाबार में रेरा गला और बाकी सेना इस्पिकार का प्रपदवा में गबमान में ठारी पी। वर्ष के भरण पबमाल प्रातपात प्रवाशुभ दसरल बन गया। मगर साप सामग्री गुमा में रोक दी। मुगल सेना के पास अनावबह कमी हो गई। इसी समय एषा मे परमात् गबमान पर प्राकम पके उसे अधिकतर लिया । मुगल सेना दुरी पारी और ठ। सारे सामान पर गुबाभप्रविधर हो गया। मुहम्मद खान से गुपी नहीं परी और पहचत समाप्त होने प्रथम ही मागकर मीरउमता केसरकर में प्रा मिला। मीर हुमसा ने उन साधारण उतार दिया और मा- -"मग पापा कुसर गरा, मगर सैर, यादगार से शियर मापीकी रास्त गा" ६९. औरङ्गजेप का नया फरम भायरे में पहुंबर औरतब मे मगर की तारपा रेली। धुरि पाई उसे ठीसिया । किले के पारे का पूरा विधाम पिय मुरादबक्यको उसने ग्वालियर मि में मेवरिया, और प्रा