पृष्ठ:आलमगीर.djvu/३०५

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माजममीर बसन्त सिंह पर पाते ही या प्रमावार से पस पहा। उसे बहुत प्राणाप मो। उसमे जोराकर में ऐसे नामी पची भावपानी में पहुँमा तो मेरे एमपिता परस मेरे भोरे नापे पपदोबाएँगे। इसी मरोसे पर होने से प्रबमेर की मोर पसा। परम्त माराया बवन्त सिने अम्मा बबन पावन नही मिा। पर सिहमे एक पर कर उप-मोग हमार रोजरिवा। ठमोंने उनसममाया-"मापने मवे ए भ तापी बनने में का बाम गोपा! परिपाम दो यो मा बिाप दुर्दशा हो। में भी एक पपा पोर निवेदन परवागमपूर्व श्रीधरज पर्व बहाने से मना। पापा भो बान रहिए कि प्रम्प राबपूर्व रामा मापको वापता नहीं देखें। मैं ही र रोगा। इसलिए भाप ऐनी प्राग मत मामानेको देश मा में फैशाय और उसे कई न दुमत प्राप दि दाग उसके माग्न भरोमे घोर दंगे वो प्रोगाने मी प्रापमा पर ऐया और पाप से वा पन मी नही माँ गंगा को सयुमा में पापमे बूय है। इतने प्रविरिक मारग्रे गुमराव में हारी मी मिश बाप्पी। इसमनाम भाप समम सम्से। पाप एक ऐसे प्रान्त प्रविधी हो बाईप बापाप रामनिट और पा मार मानम से मन और नाम गो-हम पर पाने श्रेषो मैंने पत्र में मिली है, पूरा करने का बिम्मा में मेवा ।" बन पाने पाम बतान्न नि पुरापार पसा हा पोर प्रमाया बाय मोदी अबमेर पापा-मोरगाने सेना मे उसे घेर लिया। दोगई की सड़ाई ठा से पचपन मील पूर्व में इबर भागने पद नको पार रिया मोर मुष और मठिमागा में मानयर पर तीन पर