पृष्ठ:आलमगीर.djvu/३०८

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

पम्प की सहाई २५१ सैनिकलापमा महमदनगर पापों पर शानवादाप साप हो गया । सूरत पलामे प्रेमी या पाया पोर प्रथमेर श्री मोर पसा । परम्त प्रथमेर पहुँमठे ही उसे बसन्त सिंह विचारपात का पता लग गया। फिर भी अब उस बापत मोरना समब न था। गर्मी व सस्त थी और उस इलाके में पानी की मारी कमी थी फिर विरोधी गमामोरे राम्स में होकर वीस तीस स्नियामा रम सहित करना निको भी रात में दायरे लिए सम्मर म था, दित पर और ये ना गनु उसो तिर पर था, मिठो पात बदिमा सेना थी। प्रव भरदाय को पुर रमेको छोड़ दूसरा पाय न था। परन्तु पा र पाया बराबरकाईन पी। प्रबमेर से पार मीन विष में दोराई पारी में भौगर रोने उसने निम मिा। तो दोनों बार पिरती और गोला पारियों से मुावित पे पोर प्रथमेरा समर नमर उसरे पोचेपा। अपनी सेना संबर में रोनों पारियों के बीच मम भूमि में उसने एक पार पनपाई पार उतरे सामने हार और वानरपान पर अभिनवाई। और एबमें दक्षिण दिशा से इस मोनो का सामना दिया। पासी मामाब में उनमे दारा पर गोहाबारी शुरू कर दी। परन्तु गाये लार्ग बड़ी दुर्गम पी साग की वोपे पोर पानी मी र स्थानों पर ये पौरहने पैरतों और बलूचियोको मौत मुरमें बोलने लगे। दो माह में मी पोरंगवेब पति मैदान पर सब उसमे सेनापतियों से बाहर नई पोजना बनाई और पस्ते कोसे शामबाबमा उपर बोए बाएँ पर में पा-चोर भमरा विमा उपर धम्मू के पहाडी रामा गयर

  • पाही निमें मे गोश्या पहानी पर पदने भए पशाव मार्गर

निशा और पापा पुरधाप रत पहाडी पोय पर पद गया ।