पृष्ठ:आलमगीर.djvu/३२३

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मालमगीर शहर पहास पयस में पा बो प्यो विए प्रस्मि पा। इसी पेरो बेरोबीचमाते थे। मुपात पानान के शायदे और यहीदी माँ को एक पार पाते पे किया पाफ्स नही पा सकते हैं। माँसमें से पार पोख्ख पियामा चावा था। यह भीम रेविस सपाटरगर विमा पाया था। इसके पीने से माम्महीन पीरे धीरे निस्वीर मर हो मावा वा । उन पौग्य और पास हम पाव पा। रवी विवारयति कुण्ठित हो पाती थी और धीरे धीरे प्रविषिष्ठ प्रस्था में पुत पुसम मर पाता था। वो पाठक पोख का ज्येय मी सेवा था, उसे साना मही दिया धाता था। अपने को सबसे बड़ा बाहर और बापणार उममने पाता देवा और पदमसीब मुगद बस्य इसी लि में पाने में हुए उसे तीन साल बीत चुरे । प्रम परामर्द और नापरबार पेशाब यामादा न पा बिसे हमने समूममद और विमा वर पर विजय पाते देखा था। अब उसके शरीर पर हीरे मोती पन पे। कमर में पापा हमार पी, मितपर उसे बड़ा पमण पा। इन नालो में पेट पी-पीन ठसीमर झा गई थी। मौसो के चारों प्रार स्वाही दौर या पी, और माार पक गुममम बैठा प्रोताही पर पहाणा पवा पा। कमी-कभी पा अपमे का पापणार तममरर व्यस्म देवा कमी विसनिवार वा । बी एफ्तों गुपचार पहाग पा दिन में और मुरका समाचामे पागा ने एक गुहाम जप प्रावर उभे रक्षामयिा। गुशाम पोदी का कोय पा-बसमें पोस मप पा। मुराबड़ी देर करनामे के रायया को गुस्से मी निम्नहों से रिलवा पा-विरा-"या हाकिम दर पेम हरी पछ हमारे तम्सिए में सजते हो। बस, हम पर नापहम्द करते" बाप में