पृष्ठ:आलमगीर.djvu/३२८

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प्राखिरी गिभर पागारबारावी रूप में अपने मपाना पाया ताममे मानसात में नामा गया। सभी साम्-मास प्रमीर उमरा दरबार में हाबिर । दरबार से बाहर ही बीपी वेरियो निमनदीगां । परन्तु पहिाँ बिन पर धोने मुहम्मा किमा मा पा, यो में पड़ी की। उस सुन्दर सपीछे गाबादेत अवस्था में ऐसार परबारियों की मासों से मौत पहने हगे। मरोसे में बात-सी ममाव मी एस माग्यग्रीन रेसने सिए भाठी बा। पावणा मे गाहमारे की हसव पर अपसोस प्रकिपा, भोर भा-रार नबर करो, और इसमीनान रक्सोरिदम पर ही पहुँचामा पावगा, बरिक उमारे साप मिरमानी श्री भागयी । दमारा पाप वो सिर्फ इसलिए मामा किया पापिर और मा. मारो गया था।" इस पर पुलेमान सिमेह मे अदाबंदगीभी और भाराम बामा और पा-"अगर र श्री माया पह हो कि मुझे पोस्त पिसाए बाबा, तो मेहर मुझे प्रमी परत भ्य गमाबाप" पारयार मे मा-"नहीं, हमको पोस्त इनिज नहीं पिनाए पाएंग, स्वमीनान रो।" इस पर सुनेमान सिनेमे बारा फिर उठी प्रभर सहाम शिवा । बारया मे कहा-"तुम क्या उस हाथी की बात पता सा होशिमर प्रयोिं की भी भोर बोर लिया गया था" "ए, मैं कब मीर समता- उसासा मा। रोनि सभाबी पर रोमास पो प्राविकी इसके बाद वापणा के सीख से पारीबाने ग्राम में आप गपा, पो से पालो दिन पालियर दुर्ग में मेगा दिया गया। पाँमा एक अब पोख पी-पी र, अन्त में मर गा!