पृष्ठ:आलमगीर.djvu/३८

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अमीर मीरहमक्षा बोरगर सही-सलामत भागनगरपरका पहुँच गया, प्रौर पदणार उसकी अगवानी के लिए कई कमा भी मका या विकल निकट मा कि बार्षिबाना गुलाममोइसी आम के लिए मुस्वरकर लिए गए. मायाको पका मेवे, कि एक भीर के मन में एखाप हुमा और उसने मा-बापनाइ, मागिए औरणने है, पजाबी नही। बादशा पाकर एभएर यहाँ से मामा और बोपोडाप समा-रार रो, तीन मील प्रासले पर गोशा किती मोर धीसेनिश गया। शिधार नरनिकस माने पर मी पोरेगयेर निराय मीमा । उन्ने तत्पर हमला बलम मागनगर के मान लूट लिया भोर समस्त मस्य बस्तुएँ अपने प्रविधर में बरी फिर बादग्राही और परमे की नीयत से गोको पार उतने रन दिए। इसके पास दो नही मी, भोर पर गोकगलिखे पर उनके बिना समझा नही कर सकता था। पर उसने विचारों मोर रेरा राम कर रणी रसद-पानी सब बन्द कर दी, फिट में भावश्यक सामान कामपामा महीमे पेरा गछे पाया। भोर निर या विकिराये प्रामसमपर कर देते पर उसी समय बादाद खापों प्रभागापत्र मिला किस्स पर मरने देतोर बाप । भोरमदेव पहुठ तीमा । भान मण ा कि पाना शालानी दापौर पाँप्राय बेगम, माइमेग्रा वक्ष सितादाद भाभते पते और बादशाह कोअपनी मग्री में रहे। परन्नु उठने पारणा प्राधा उस्तंपन करना ही नहीं मा, भोर किया महायररेने पार र ममा, परम्नु उत्रने णा से सेना परिपूर्ति के रोष पये वसूप पिए या रामगिरि भवातुध भी से लिया । और ग्राहीसा से भरने जवान