पृष्ठ:आलमगीर.djvu/३९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

२. भाममगीर मुहम्मप र विषारपरके मविध रानी कि उसी का बरा यन्त्र का उत्तराधिकारी रहेगा। इन सबकेमाप उसने अपने दोस्त मीरजुमक्षा पौर धन-दौलत की मी गम्ब से बाहर जाने की प्रारही और पामोय। गोशापा पड़ाव में पा प्रमीर मीरममा मोरयमेवी सेना में उपस्थित मा वो उता ठार-बार मायारों से म न पा । उसके साप चार पुरसबार, १५ मार पैरस, १५. हापा और कई उम्दा वोपचाने थे। औरंगजेब मे उसकी सूब पापघ्नी की और मा-कि मायावी, शाहपादाय के बाप है परन्तु मुझे मापसे बदर मेहरबान पाप मिलना मुश्किल है। मेरी उम्मीदें माप पारस्वा है, और मैं पाप ही को अपना सरपरस्त समझता है और प्रमवा मुफ पर और मेरे बाल-बालो पर राम करें। मैं वादा करवाई कितपत मधीन होने पर मैं पापको दरबार में सबसे बड़ा और भाप साके माम्मद अमीनों प्रमापसे चूसरा दवा दूंगा । और बो दुशणार भादौ १ उसे वे दूंगा। बस, भाप रारा से कोई वामक म रमे। इस प्रकार कौश-मयर परफे मीरममा शारी दरबार में शिी रवाना दुमा । अपवार उसे चीरे प्राबम बनाना चाहता पा और पाय उसे औरंगन से दूर पार की दुर्गम मुहिम पर दम देना चादवा या । ऐसी दो उम दिनों मुगा श्री राजनीति दी। परतु ममीर मीरममा को औरंगजेब पसन्द था। दोनों शोमती रिकी दोस्त बन गए । पपपि गेनों बहुत कम साप-ताप रे फिर मी दोनों में गो-बड़े तारतम किए। दोनों में दोनवापार में मिश र मावी मालादामों के मनो थि। मुगल इतिहास में इन दानो प्रारमियरों की मिमता एक निराही पही। पर निस्तम्दो मा पा सकता है कि मोरंगजेब को कषयापन और प्रधिरि मिनी, पर मौरजुमवादीबरोशव मिधी।