पृष्ठ:आलमगीर.djvu/४४

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बही- सपा पार से उसे उस बनाए गये थे। पापा के उल्टे-सीपे रिम सगापा करते और शाामारे को अपने बाल में कमाए गते । बादशाह मे परमीर- काज और लाहौर इलाभ दायका बागीर में दे रसा पा। बितकी वार्षिक प्राय दो करो सों से भी प्रपिक की। बादरार मे इसे रुष ऐसे मी परिधर रे रसे ये दिन में आई वल दो न मा परम्नु वे बहुत सम्मान मना समझे पावे थे । सपा मुगल-सामाग्प में किसी दूसरे प्राप्त न ये। पैसे हापियो का जमाना, अपने सामने होने पौशे के गुर्व रसना, बाकेजस पापणा पी सवा पा। इस सिपा उसने पाही दरबार में उसे बैठने के लिए अपने पास एक दूसरा वा रखा रिपा पा । पासाद ने अपमे तमाम उमरा हुक्म दिशामा या मुहका साम पहिले पारा का देवर तापे शादी हुमर में पाएँ । (नवमाम भारयो से दरबारे शाही में एक समाव बद गौ पी। मस पा पदुपा उमारे नाप पर और समी पेय पाया एता पा। और कमोनमी स्पस्व प्रविषित उमयामी अरमान पाने में नहीं हिपका पा, पिनोएड-दो शाहरण कर दिए । सगीपरी भेगम मे उरत पटे पे-पापा मुझेमान मिशेरपोर सिपर शि। निस्तान में प्राण दादा प्रकार के समान को उमर i भोर मुनममानों में वोहविक नमन करने प्रमापवानो था। Dि बोगी मानदार और मुरिजम बसे र सरमद सपा शिप मा। मुस्लिम और मिष मोर को मी वा भरना ममंगुर मानता पा) उमने धरने बीवन में राम के सिवान्धीमी परदेसाना नही ते प्रादर मी पो के प्रति रखता। पासा में पापम्पी म पा।