पृष्ठ:आलमगीर.djvu/४७

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२८ मासममीर होने पर उस शादी मनचाई से सेपर देय । म बादशाहको पाय पर पातु बनाए रखने में भी इष ठठा न रखती थी। क्या व अमीर ठमराको मी नमार रहती थी। उसने अपनी पारी पतुराई पादशाह को पता रखने और उसकी सेवा करने में लगा थी। पराममीवर बारणा उभिव-मनुषित पापमों की पूरिती थी। भारपार उस पर ऐता मिरवान पारिजोम पामे मगे पे किशापहरे शासन-प्रम में वही वमाम सामाग्प एर राखन परती थी। इससे उन माम 'बहरीमा प्रतिरो गया पा। दाप पारवा पा कि उस शादी सिपाहार नबापता से दो बाय पो पताही पानपान से समय रखता था। पर पुरप पीर और सुन्दर भी था। परन्तु वारणार साहे पारदर्ज मे बादपान मर दिये ये विपरि ऐसा किया पगा वो उसे भररस ही ग्राहकारों की पारी भारतमा देना पोगा। सिपा पर मी पाव ची किमारणार गरे पति पर चदाई मेरे मसूद मी पाया था। फिर भी शाहबादी बी-बान से बादशाह की सेना मती दी और अपमे चाहने पालोदी पर मर गतीगी। मा गम्प के बारे निम्मेबारी के काम करती, पर ग्रामो मात्र में मतदोबती । पाअंगी शराब की कौन पी बोकाबुन, रिस और पाश्मीर से मंगाई पाती थी। यह पाषा प्रपमे हम्तम्पम में दिया गया बनवावी, में गुलाब और मेवामात गलम एक बहु-सी चा गर बनाई जाती थी। पवकोपा कमी-कमी नशे मेंदवनी गा-गप्प हो पाती पीक उतन लगी हो सना भी सम्मान होवा और उसे प्रापा उठान विसर पर राहा पाठापा।