पृष्ठ:आलमगीर.djvu/५७

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मालमगीर रोती की पोशाक पानने पर भी उनम भीतर बदन लता या था। इनमें से प्रस्पेक पोशाक प्रयन भाषा व मे प्रपिक नही हातापा। परन्तु इन मम्प पचास पपप से पोप रबार रुपए तकता था। इन पोशा में ये सुनहरा मचा, गोटा, उमा, और बहुमत्प मोदी-तोर संक्ती थी बिमें से एक बार बदन पर दुपारा नही पानती थी। फिर विस माम्य में पाहोवा उमी किसी बांदी के शरीर की ग्रोमा बदाती थी। रामारा समाज विरङ्गी मग्रानी पी रोशनी से जगमगा बावा पा । सैमोरचा मानूनों की मस्मि गेरानी से बोबग-बगा भगे गते थे, माकोमा गतगुती दीन परदी थी। इन फानूनों में मुगम्बित मोमबत्ति बनाई जाती थी। मोमीनी मशालों की मीनी मुगनिज र रमापातापरणको मस्तपर देवी पी। कमी-कभी गमाव रोशनी में साक्नाल पपा सर्प र देवी पी। अब गावारिया पादशा की सास प्रामा से सिर पर पगड़ी मी पापती पी बिन पर मोतियों और पामस्व गमार से पूर्व बास पौर पर लगाया होता मा। यद्यपि शादी रम में बारोगमाव दिया और सनिकी. पिर मौ ठसेन पर धतोय न था। सास सिराबोर पर सामाम भर के पेगरों को एक नियत ताराद में माल के लिए सूपरत वाभिमा पेपनी पाती की हठने पर भी पाया मनुषिव सम्मान प्रमेक ईस और उमरा श्री प्रौरतों के 4, दो दिपे नही थे। प्र में देव और उमरा बादशा के पिता का नही पर पाते थे। पर मीतर ही मीतर पे उससे बसते मे अन्त में गहरी बादणा पतन और सनाया परगा | दरममा प्रायनर औरतों में सबसे प्रमुख श्री पर लौ4 पनी पी। उसके प्रेम में प्रभा होर पादशार वापर नीबान हमे पर पहा हा पा! पर उठ भी ने रावण की अनुनय-विनय +