पृष्ठ:आलमगीर.djvu/८८

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बेगमसारी 67 बागपत किरही थी । माझी वागार में महषियों प्रेमामार थी। अमीरों के गुबाम सायरा एस मार से मरने मरने माक्षिरे लिए गोरे सरोदरपे। पामर में इंट, पोहे, माती, रस, चामबाम पानी और मिवानों पर प्रमोर साप प्रा बारोपे। रिपर, मकाण, महिए, मोनार, गरेर भोर मनिहार पर प्ररने प्रमो में बगे । बत पावनी पौर में समान पनाह मघर मा हा भी। इस समय बहुत से बरम्याग, पारे मिरवी, और करपार ती से अपने-अपने काम में लगे हुए थे। परमार और पार सगो की मोरयर ता साफ रोपे। मारि साने एयरोपे। धनदार बोम्ने हाहर पोट भरनी अपनी मनोको प्रार्पण गवि पर मार जामुर हे पेपर परय मामा माग बेगमसारी रिसे से रखा परमा रहा पी। गम ए पास पर नगर पी। विम पर कमी पापा परदा पहा था, जिसमें गाय पाएRI पास पास कार पासवग माग्दष और पार पाठे पास पेरा सागरोये। धिमे सामन पावे उमोपमा एग्रो परेते थे। बहुत से बारिवाना गुलाम मुसहरी समोरीयो मे लिए मार रायरा बनो, सिमारे बारे में । उनके पागणागे मिरवी वेधे से दोगने दर मा पानी पदिर पर बाठे थे। मोरहो और ये मग साने गोपाल थी। पाती नाप सेकहो बरिर्ग मार्ग पास में बाती गुगाम लिए बस बी पी नगमे भागे मो वातादि महो वापार राम में सिप्प, वीरमान पर कमे, मीरा हमारे र पापीपी और का पीयेस मारमाने प्रसार