यशोदा का सति
[ ३१६ ]
नंदलला मुप चंद चढ़े छवि कोटिक चंद कला पचि हारी
'मालमा काम को काम यह व्रज धाम के काम की कामना टारी
सुन्दर नासिका पास रही अघ भीति है मसि मोमित भारी
पांडुकि फंठ नवीन उठे प्रगटी मनो फीर के फंठ फी फारी
३२०
सुन्दर नंदकिसोर तरंगनि अंग को संग. अनंग गह्यो
महिलासय मोहि रही महि फी भने 'पालमा रूप महा उमहो
मसि भीजति फान्ह के शानन पै सपि स्याम सीरेख को भेषमायो
छवि परन इन्दु के मध्य मनी दुतिया के सरूप है राहु रहो
। ३२१ ] .
जल क्रीड़त श्री नँद-नंदन जू दुति वंदन निन्दति सुरप्रमाको
यनितादिक मुदित उहित रूप ते चंति आनँद चंद सुधा को
'पालमा के कुवले दल मोलि वन्यो तनु स्याम विराजत जाको
मूरतिवंत लये सरिता सँग संभुयरै मनो सैल सुता को
[ ३२२ ]
मुकुता मनि पीत हरी बनमालमुतो मुरचापुभकामु फियोजन
भूपन दामिनि दीपति है धुरवा: सित नंदन खौरि पिये तनु
'मालमा धार सुधा मुरलो घरपा पपिहा ब्रज नारिन को पनु
आपत हैं बन ते धन से लखि री सजनो घनस्याम , सदा-धनु
"
पृष्ठ:आलम-केलि.djvu/१५०
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