पृष्ठ:आलम-केलि.djvu/२५

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Tालम-फेलि यहि पयि पालम छलक नैन मैन मई, मोहनी सुनत चैन मन मोहन ठगे । तेरोई मुखारबिंद निंदै अरविन्दै प्यारी..' • उपमा 'फो कई ऐसी कौन जिर्य में लगे । चपि गई चन्द्रिकाऊ छपि गई छयि देखि, .. ___ भोर को सो चाँद भयो फोकी चाँदनी लगे ॥२१॥ हीरा से दसन मुख पीरा पासा कीर चार, सोने से शरीर रवि चीर चली धाम को। खलित कपोल हग डोल। कवि पालम सु, ____घोली मृदु बोलि के रिमाये लाल स्याम को। ' पेसरि पिचित्र नीको फेसरि को टोको सोह, ते सरिन पार्थ भूल केसी सची याम को । घेनी गूयें फूल लर गरे मन्नतूल छुटा, फूल की कमान देखि भूल परी काम को १२२२ .: . समर अभिसार सायम की सांझ को सोहायनीयै ठौर तहां, जूही बाही घेलि पौरि फुलि पन छाइहै । पालम पचन पुरपया . को परस . पाछे, सीरी . आये रसिक सरस ; सरसाइह । -