पृष्ठ:आलम-केलि.djvu/४३

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बालग-कोलिना कहोगे. सीठी यह ढीठी है करति ओगे;:.' पाछ दि. विरह चहूँघाः चैटि कूकिहै । नेफु मगर जातादेखिसे मुरझा रहे । यात सिनि गात तोपतौथा है कसूकिहै । कोवरे हिया के तुम कठिन कटाछ कान्ह, पैठ है। पीठि कै पहूँः ढिग दकिद! घहै डोठि मूठिं सी बढ़ेगी हियौ घेधिा येधि, वह नैना धनुक . नत्व सरचूकिहे ॥६॥ 12} . ..यह उनहारिरीमि आई हौनिहारि: मुखं, कछुक सरदः ससिं.कैसी अनुहार है । कौन धौंसँवार कीन्ही सोभा को विचार चारा - वार 'धार' सोंचि मुख-चारिहा,बिचारिहै। बिन हू सिँगार कवि 'पालमा सिंगाखो तन, गोरे कथोरे लांकी सादी सुधीवारि है। कहिये को मैनका पैारतियोनारूप ऐसो ऐसी. कान्ह देखे वन जैसीनीकी नारिहै ॥६॥ अंगनई जोति लेयरंगना र विचित्रे एक आँगन मैं अंगनाअनंगकी सी ठाढ़ी है । उजरई की उज्यारी; गोरे तन सेत सांग 51 मोतिन की जोति सौं शुन्हैया मानो.पाढ़ी है।' . , १-दीशैदिठाई। २--टिंग दकि है = निकट धैटेगी ! - . :