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-3.
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वन ९
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. जैसे तुम विधे ऐसे ग्यारिनि विधी है. कान्ह, :...
हो नाकही यात राखि ठकुर-सोहाते. की।
पैननिको मतो बांके मन में नाहिने पै, . , .
..." कछुकःमिताई देखौ नैननि के नाते की ॥१०॥
रहै डीठि कोर ढाँके बहुखो झरोखा झाँके,
। दुहूँ, कर कौरो टेकि द्वारो झाँकै दौरि के।
हुती अलबेली तैसी लगी तलावेली. अंग, ...
• नये. नेह खेली. लाजु हारी तिनु तोरि के।
'आलमा कहै हो' घरी घरी अटो चदि जाय, .....
11. चाहे चहूँ ओर.पाछे राखे नैना मोरि के।
नेकु चलै चित छाह ऊभी है कै ऊभी बाहर, ...
... यारया अँगराय, आँगुरिनु जोरि के ॥१०॥
(विरह वर्णन) --'
. परम .भारती, तेरी लाल में विकल देखी,, .
घपुन, सैंमारै फछु।' उठि :न 'सकति है।
कोनो फहा मोसों कहौ स्याम हो यलाह लेउ.......
... 'जात धकधकी: उर: अनल धुकतिरे है।
1-3मो वै फैसड़ी होकर भी माह राह उपर को जग
कर । -३--कति है जलती है, . . . . . . " : - ..
armmarriram
पृष्ठ:आलम-केलि.djvu/५८
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