पृष्ठ:आलम-केलि.djvu/९४

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'मालम' कहै हो काह अयलौ न लोगो मन, 13 -- लाग्यो तब जान्यो होत ऐसोई, जंजाल है। जापै यौते सोई जाने फहे कान्ह कौन 'माने, । तेरेजी की तुही जान मेरो ऐसा हाल है ॥१२॥ जादिन तेतिम चाहे लोग कई पारी कोहे, पीरौन जनये पल पल जिय जरिये। 'बालम' कहै हो गुरुजनः सखी सौविसंघ, और विथा घूमै जोई कहैं सोई करिये। चूंघट की चोट याँसू चूंटियो करतं मैना, . उमगि उसाँस कौली धीरज यो धरिये । याको मरियतु है तु ऐसे हँसि 'बोलो कान्ह, ऐसी मया करिये तो ऐसे फाहे मरिये ॥१३॥ । जैसे डोले पोरो पात लागे पीत ही की बात, ऐसो तनु डोलै अरु ऐसोईघरनुर है। तेरी घाली ऐसी भई पहो 'कान्ह निरई, • तेरे पेम परें भयो फाँसी को परनु है । सूधे रहि संधे हेरि दीठि नेक ह न फेरि, नेकु अनजोरे नैना' जीय फो. जरनु है । महि मरोरि मुरि मुसकाय ढोटाते. तो." - मुख मोखो सो तो याम और को मरनु है ॥१४॥ F- - • room fromearirmirewortown ___-तुम चाहे-तुम को देखा। चानु-रंग।