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पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/१००

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माड़ोका युद्ध ९५।

सुमिरिकै अंगद बाली वालो करिया चला समरको जाय ४८
आगे हलका है हाथिन का बलका जिनके नाहिं ठिकान॥
पहिया ढुरकैं उन तोपन के तड़कतिअवैं सिंदुरियाबान ४६
पछे रिसाला घोड़न वाला आला चला समरको जाय॥
खर खर खर खर कै रथ दौरें चह चह रहीं धुरी चिल्लाय ५०
छाय अँधेरिया गै मारग में बंजर खेत भुहा ह्वैजायँ॥
लक्ष पताका यकमिल ह्वैगे नभ माँ गई लालरी छाय ५१
ऐसी फौजैं मलखाने की वैसी माड़ो का सरदार॥
सूंड़ि लपेटा हाथी भिड़िगे अंकुशभिड़े महौतन क्यार ५२
हौदा हौदा यकमिल ह्वैगे ऊंटन भिडिगै ऊंट कतार॥
भाला छूटे असवारनके पैदर चलनलागि तलवार ५३
सूंड़ि लपेटे जंजीरन को हाथी रणमाँ रहे घुमाय॥
मस्तक गजके गज हनिमारैं अद्भुत समर कहानाजाय ५४
क्षत्री गर्जैं गज हौदन ते जो सुनि गर्भपात ह्वैजायँ॥
कवँधालपकनिबिजुलीचमकनि कहुँ कहुँ परें खड्गके घाय ५५
मर मर मर मर ढालैं ब्वालैं गोली सन्न सन्न सन्नायँ॥
खट खट खट खट तेगा ब्वालैं लपलपलपकिलपकिरहिजायँ ५६
झम्झमझम्झम् झीलमबोलैं नीलम रंग परैं दिखराय॥
धम् धम् धम् धम् बजैं नगारा मारा मारा परै सुनाय ५७
झलझल्झलझल छूरीझलकैं चमचम्चमकिचमकिरहिजायँ॥
बल् बल् बल् बल् क्षत्री बलकैं हब् हब् हबकिहबकिकैखायँ ५८
धर् धर् धर् धर् क्षत्री दौरैं सर् सर् तीर चलावत जायँ॥
फर् फर् फर् फर् घोड़ा दौड़ैं हिन् हिन् हिन्न हिन्न हिन्नायँ ५९
टिट् टिट् टिट् टिट् टिटुई हांकैं टिल् टिल् टिल्लटिल्ल चलिजायँ॥