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पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/१०१

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आल्हखण्ड। ९६

चम् चम् चम् चम् खड्गचमक्कैं खट् पट् खट् पट् रहीं मचाय ६०
रन् रन रन् रन् फिरैं योगिनी बम् बम् बम्ब बम्बको गाय॥
सन् सन् सन् सन् बायू सनकैं मन् मन् मन्न मन्न मन्नायँ ६१
मारु मारु करि तुरही ब्वालैं ब्वालैं हाव हाव करनाल॥
सुनि सुनि बँबकैं बहु क्षत्रीगण बहुतक जूझिगये नरपाल ६२
बहुतक करहैं रण सरिता में नदिया वही रक्तके धार॥
मुंडन केरे मुड़चौरा मे औ रूंडन के लगे पहार ६३
परीं लहाशैं जो हाथिन की तिनका नदी किनारा मान॥
परे बछेड़ा उँटनी तिनपर तिनसों नदीकगारा जान ६४
जैसे नदिया डोंगिया सोहैं तैसे स्वहैं नरनकी देह॥
जैसे नदिया सावन बाढैं बर्सैं बहुत गरजिकै मेह ६५
तैसे डोंगिया नरदेही में नेही जौन सनेहीं जीय॥
काक कंक तिन ऊपर बैठे फारैं जियत नरनके हीय ६६
छूरी जानो तुम मछलिनको कछुवा मनो दाल दिखरायँ॥
नचीं योगनी त्यहि सरिता में तारी भूतन दीन बजाय ६७
बड़ी लड़ाई भै बबुरीबन हमरे बूत कही ना जाय॥
जो हम बाधैं ह्याँ रूपक सब गाये उमर पार ह्वैजाय ६८
करिया ऊदन के मुर्चा माँ औ परिरहा रामते काम॥
बड़ा लड़ैया माड़ो वाला ठाकुर जबर्दस्त सरनाम ६९
करिया बोला वहि समया में गरूई हांक करत ललकार॥
तुम टरिजावो म्बरे सम्मुखते ठाकुर उदयसिंह सरदार ७०
बाप तुम्हारे को हमहीं ने कोल्हू डारा रहै पिराय॥
तैसे मारों तलवारी सों मानो कही बनाफरराय ७१
सुनिकै बातैं ये करिया की करिया भये उदयसिंहराय॥