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आल्हखण्ड। ९८

तौ तौ लरिका देशराजका साँचो नाम उदयसिंहराय ८४

सवैया॥


या कहिकै ऊदन त्यहि बार सो बेंदुल को लय ऊपर धाये।
शुण्डसों दाबि लियो पचशबदा बापके बाहन बंधनआये॥
कर बांधिलियो तबहीं करिया तहँ लै हौदा पै कूच कराये।
ललिते मलखान तहांबलखान गुमानभरे रणखेतन आये ८५



जैसे भेड़िन भेड़हा पैठै जैसे सिंह बिडारै गाय॥
तैसे मारै औ ललकारै यहु रणबाघु बनाफरराय ८६
मलखे ठाकुरके मुर्चा पर कर रजपूत न रोंकैं पायँ॥
मारति मारति मलखाने जी पहुंचे जहां करिंगाराय ८७
देखिकै करिया राहुट ह्वैगा औ मलखे से लगा बतान॥
जो गति कीन्हों बच्छराजकी सोई जानु अपनि मलखान
त्यहिते तुमका समुझाइत है सम्मुख अवो न हमरे ज्वान॥
सुनिकै बातैं ये करिया की सिहाभयो वीर मलखान ८९
एँड़ा मसके जब घोड़ी के हौदा उपर पहूंची जाय॥
पैर पकरिक तब करियों के औ हौदा ते दीन गिराय ९०
उतरिकै घोड़ा ते देबा तब औ हाथी पर भयो सवार॥
छोरी मुशकै बघऊदन की यह भीषमको राजकुमार ९१
रुपना बारी बेंदुल लीन्हे तापर बैठ लहुरवा भाय॥
घोड़ा पपीहा की पीठी माँ तुरतै बैठ करिंगाराय ९२
मलखे ठाकुर ने ललकारा करिया खबरदार ह्वै जाय॥
जियत न हो तुम माड़ो को तुम्हरोकालरहानगच्याय ९३
सुनिकै बातैं मलखाने की तब जरिमरा करिङ्गाराय॥