पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/१०३

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

+ पाल्ह खण्ड ६८ तौ तौ लरिका देशराजका साँचो नाम उदयसिंहराय ८४ सवैया॥ या कहिके ऊदन त्यहि बार सो बेंदुल को लय ऊपर धाये। शुण्डसों दावि लियो पचशवदा बापके बाहन बंधनआये। कर बांधिलियो तवहीं करिया तह लै हौदा पै कूच कराये। ललिते मलखान तहांबलखान गुमानभरे रणखेतन आये ८५ कर रजपूत न रोंके पायें । जैसे भेड़िन भेड़हा पैठे जैसे सिंह बिडारै गाय ॥ तैसे मारे औ ललकारे यहु रणबाधु बनाफरराय ८६ मलखे ठाकुरके मुर्चा पर मारति मारति मलखाने जी पहुंचे जहां करिंगाराय ८७ देखिकै करिया राहुट हँगा औ मलबे से लगा बतान ।। जो गति कीन्यों बच्छराजकी सोई जानु अपनि मलखान त्यहिते तुमका समुझाइत है सम्मुख अवो न हमरे ज्वाने ।। मुनिक बातें ये करिया की सिहाभयो वीर मलखान ८६ ऍड़ा मसके जब घोड़ी के हौदा उपर पहूंची जाय॥ पैर पकरिक तब करियों के नौ हौदा ते दीन गिराय उतरिक घोड़ा ते देवा तब औ हाथी पर भयो सवार ।। छोरी मुशकै बघऊदन की यह भीषमको राजकुमार ? रुपना वारी वेंदुल लीन्हे तापर बैठ' लहुरवा भाय॥ घोड़ा पपीहा की पीठी माँ तुरते बैठ करिंगाराय ६२ मलखे ठाकुर ने ललकारा करिया खबरदार है जाय ।। जियत न हो तुम माड़ो को तुम्हरोकालरहानगच्याय ६३ सुनिक वात मलखाने की तब जरिमरा करिङ्गाराय॥