पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/१०४

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

माडोका युद्ध । ६६ संचि सिरोही ली कम्मर से औ मलखे पर दई चलाय ६४ वार बचायो मलखाने ने करिया निकट पहूँच्यो जाय ।। दालकि ओझरि मलखे मारा तब गिरपरा करिङ्गाराय ६५ घोड़ा पपीहा मलखे लीन्यो औ क्षत्रिनते को सुनाय ।। मारो मारो ओ रजपूतो तौमिलिजाय बापका दायँ ६६ सुनिक बाते मलखाने की ज्वानन खूब कीन घमसान ।। रङ्गा बङ्गा शहाबाद के साथ म आये जौन पठान ६७ ते दउ मा दिशि करिया के रणमाँ बड़े लड़या ज्वान ।। तिनके मुर्चा पर देवा रहे ठाकुर मैनपुरी चौहान ६८ सो- ललकार तहँ रंगा को औ बंगाको दियो हटाय ॥ को गति बरणै तहँ देवा के हमरे बूत कही ना जाय ६६ बड़ा लड़या रंगा रंगी जंगी संचि लीन तलवार । ऐंचिकै मारा सो देवा को देबा लीन ढाल पर वार १०० यो ललकारा फिरि रंगा को रंगा खबरदार लैजाय ॥ खैचि सिरोही देवा मारा रंगा गिरा भरहराखाय १०१ रंगा मरिगा जब मुर्चा पर बंगा चला तड़ाका धाय । नंगी लीन्हें तलवारी को देवा पास पहूँचा आय १०२ सँभरिकै बैठो शब घोड़ापर तुम्हरो काल गयो नियराय ।। यह कहि मारा तलवारी को बखतर काटि पार लै जाय १०३ बचा दुलरुवा भीषमवाला ज्यहिका राखिलीन भगवान ॥ बँचि सिरोही ली कम्मर ते औहनिदियो बंगपरज्वान१०४ चंगा जूझा रणखेतन में तब जरिमरा करिङ्गाराय ॥ औ ललकारा रजपूतन को हमरे सुनोसिपाहिउ भाय १०५ नाय न पावें मुहबे वाले इनकी कटा लेउ करवाय ।।