नालति त्यहिकी रजपूती का पैदा होने का धिक्कार॥
सनमुख बैरी जो मारै ना रणमाँ लागैं प्राणपियार ११४
सुनिकै बातैं रजपूतनकी दोऊ लड़न लाग सरदार॥
मलखे करिया का मुर्चा है दोऊ विषधर बड़े जुझार ११५
करिया ठाकुर माड़ोवाला गरुई हांक देय ललकार॥
सँभरिकै बैठो अब घोड़े पर ठाकुर मोहबे के सरदार ११६
इतना कहिकै करिया ठाकुर तुरतै ऐंचिलीन तलवार॥
खैंचि कै मारा मलखाने को मलखे लीन ढालपर वार ११७
ढाल छूटिगै मलखाने कै दूनों हाथ गही तलवार॥
ताकिकै मारा फिरि करिया को काटिकैगलानिकलिगैपार११८
जूझिग करिया माड़ोवाला फौजै रोईं छाँड़ि डिंडकार॥
घोड़ बेंदुला की पीठी सों फाँदा उदयसिंह सरदार ११९
मूड पकरिकै सो करिया को धड़ते डारा तुरत उखार॥
आल्हा ऊदन मलखे देबा सय्यद बनरस का सरदार १२०
पांचो मिलिकै गे तम्बू में जहँपर रहै दिवलदे माय॥
हाल बतायो सब द्यावलि को करियाशीशदीनदिखलाय १२१
शीश देखिकै त्यहि करिया को भइ मन खुशी देवलदे माय॥
बड़ी बड़ाई की सय्यद की तुम्हरीदया जीति भै आय १२२
बड़ी सहाई की लरिकन की धर्मसों देवर लगो हमार॥
सखा तुम्हारे की नारीहन सय्यद बनरस के सरदार १२३
कियो सहाई जस हमरी है तैसै भला करी कर्त्तार॥
सय्यद बोले तब द्यावलिते सांची मानो कही हमार १२४
खुदा सहाई सब दुनियाँ का बिसमिल भलाकरैं सब क्यार॥
बार न बांका इनका जाई अल्ला धर्म निबाहन हार १२५
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माड़ोका युद्ध। १०१
