पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/१०८

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

c माडोका युद्ध । १०३ पैदा होई सो मरजाई आई कळू नहीं फिर काम ॥ भलो बुरी जो जग में करि है सोई बना रही नितनाम २ परमसनेही रघुनन्दन विन नेही और जगत में कौन ।। तिनहित देही नरगेही तज जा राम भौनको तीन ३ आलस देही नरगही तज सो यमपुरी पहूँचै जाय ॥ पार न जावै वैतरणी के धरि धरि चील्हगीधसबखायँ ४ टि सुमिरनी गै देवनकै शाका सुनो शूरमन क्यार ।। कल्हू पिरायी नृप जम्बै को मकुर उदयसिंह सरदार ५ अथ कथामसंग ॥ माहिल चलिमे ह्याँ उरई ते लिल्ली घोड़ीपर असवार ।। तिकतिक हाँकै त्यहि घोड़ीका ऍड़ी करें भड़ाभड़ मार १ थोड़ी देरी के अरसा माँ माहिल अटे मोहोने आय ॥ पहिले मिलिकै परिमालिकको मल्हना भवन पहूँचे जाय २ दीख्यो मल्हनाजवमाहिलको उठिकै वड़ा कीन सतकार ॥ पूंछन लागी फिरि भैयासों राजा उरई के सरदार ३ आल्हा ऊदन मलखे सुलखे बारेसे स्यये चारिहू भाय ।। आठ महीना का कहिकेगे आयो एक साल नगच्याय ४ खबरि जो पाई कहुँ भाई हो हमको बेगि देउ बतलाय ॥ सुनिकै बातें ये मल्हना की माहिल बोले बचन बनाय ५ मरे बनाफरगे माड़ो में खुपरी टॅगी बरगदे डार ॥ मुनिक बातें ये माहिल की मल्हना रोई छाँड़ि डिंडकार ६ स्वने कै लंकाम्बरि जरिवरिंग अवधों कौन लगाई पार॥ माहिल बोला फिरि बहिनीसों कीन्हे चुगुलिन का ब्यौपार ७ अब बुलवावो तुम पंडित को सूतक साइति करै विचार॥