पैदा होई सो मरजाई आई कछू नहीं फिर काम॥
भलो बुरो जो जग में करि है सोई बना रही नितनाम २
परमसनेही रघुनन्दन बिन नेही और जगत में कौन॥
तिनहित देही नरगेही तज जावै राम भौनको तौन ३
आलस देही नरगही तज सो यमपुरी पहूँचै जाय॥
पार न जावै बैतरणी के धरि धरि चील्हगीधसबखायँ ४
छूटि सुमिरनी गै देवनकै शाका सुनो शूरमन क्यार॥
कल्हू पिरायी नृप जम्बै को मकुर उदयसिंह सरदार ५
अथ कथाप्रसंग ॥
माहिल चलिभे ह्याँ उरई ते लिल्ली घोड़ीपर असवार॥
तिकतिक हाँकै त्यहि घोड़ीका एँड़ी करैं भड़ाभड़ मार १
थोड़ी देरी के अरसा माँ माहिल अटे मोहोबे आय॥
पहिले मिलिकै परिमालिकको मल्हना भवन पहूँचे जाय २
दीख्यो मल्हना जब माहिलको उठिकै बड़ा कीन सतकार॥
पूंछन लागी फिरि भैयासों राजा उरई के सरदार ३
आल्हा ऊदन मलखे सुलखे बारेसे स्यये चारिहू भाय॥
आठ महीना का कहिकै गे आयो एक साल नगच्याय ४
खबरि जो पाई कहुँ भाई हो हमको बेगि देउ बतलाय॥
सुनिकै बातैं ये मल्हना की माहिल बोले बचन बनाय ५
मरे बनाफरगे माड़ो में खुपरी टँगी बरगदे डार॥
सुनिकै बातैं ये माहिल की मल्हना रोई छाँड़ि डिंडकार ६
स्वने कै लंका म्बरि जरिबरिगै अबधों कौन लगाई पार॥
माहिल बोला फिरि बहिनीसों कीन्हे चुगुलिन का ब्यौपार ७
अब बुलवावो तुम पंडित को सूतक साइति करै बिचार॥