पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/१०९

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राजा गिरा ५६ आल्हलण्ड।१०४ करो तिलाञ्जलि तिनपुत्रनको तुम्हरे हाथ हो उद्धार इतना कहतै भइ माहिल के रुपना अटा वरावरि आय ॥ मूड़ देखिकै त्यहि करिया का पछाराखाय हाथ जोरिकै रुपना बोला ओ महरजा रजापरिमाल । मूड लयआये हम करिया को माड़ो कुशल तुम्हारे बाल १० जैसे पियासा जलको पावै सूखत परै धान में वारि ।। रुपना वारी की बातें सुनि तैसे खुशीभये नर नारि ११ हल्ला सुनिकै नर नारिन सों मल्हना रुपना लीन बुलाय।। विदा मांगिक माहिल चलिमे उरई तुरत पहूँचे जाय १२ मल्हना पूंछे तब रुपना ते बेटन हाल देउ बतलाय ॥ वदी सुनायो सब लड़िकनकै माहिल जोन हमारोभाय १३ सुनिकै बात ये मल्हना की रुपना वोला शीशनवाय॥ वेटा अनूपी टोंडर सूरज करिया सहित चारिह भाय १४ चारो लड़िका नृपजम्बा के बबुरीवन माँ गये नशाय॥' खबरि तुम्हारी महिं लेवे को पठ्यो वेगि उदयसिंहराय १५ हम चलि जावें अब बबुरीवन हमको हुकुमदेव फर्माय ।। कुशल तुम्हारी बिनपायेते व्याकुल रहैं चारिहू भाय १६ मुनिकै बातें ये रुपना की मरहना हुकुम दीन फर्माय ॥ करो वियारी तुम महलन में माड़ो फेरि पहूँचो जाय १७ सुनिक बातें ये मल्हना की रुपना जय लीन ज्यवनार ।। सजा बछड़ा तहँ ठाढ़ो थो रुपनाफाँदि भयो असवार १८ सत्रहदिनकै मैजलि करिके माड़ो फेरि पहूँचा जाय ॥ कही खबरिया सबमोहवेकी जहँ पर बैठ बनाफरराय १६ पाँचो मिलिकै सम्मत कीन्हो यह फिरि ठीकलीन ठहराव ॥