सजि सँयोगिनि गै पलमाँइक बँदियन हुकुम दीन फरमाय॥
डोला लावो अब जल्दी सों बँदिया चली हुकुमकोपाय ६४
लाईं डोला सो जल्दी सों औ त्यहि खबरि सुनाई जाय॥
सुनिकै बातैं सो बांदी की मनमें श्रीगणेशको ध्याय ६५
सुमिरि भवानी शिवशंकरको औ सूर्य्यन को माथ नवाय॥
बैठी डोला में संयोगिनि सीता रामचरण मनलाय ६६
चारि कहरवा मिलिडोला लै तुरतै चले पूर्व दिशिधाय॥
आगे डोला संयोगिनि को पाछे चलीं सहेली जाँय ६७
दौरति जावें पुरबासी सब दासिन भीर भई अधिकाय॥
चढ़िगे मंचन नर नारी सब राजन देखि देखि हर्षाय ६८
बड़ी भीर भय तब कनउज में औ तिल डरे भुई ना जाय॥
शोभा गावैं जो कनउज की तौफिरिएकसाल लगिजाय६६
डोला लैकै संयोगिनि को महरन तहाँ उतारा जाय॥
जहॅना बैठे सब राजा है एकते एक रूप अधिकाय ७०
उतरिकै डोला सों संयोगिति माला दहिन हाथ ले लीन्ह॥
सुमिरिभवानीसुत गणेश को महिफिलमध्यगमनतबकीन्ह७१
बैठे राजा सब महिफिल में एक ते एक शूर सरदार॥
कोउ कोउ राजा तीस बरसका कोउ कोउ वर्षअठारहक्यार ७२
काले नीले पीले लाले उजले शोभा के अधिकाय॥
जामा पहिरे रेशमवाले चम् चम् चमकि २ रहिजाँय ७३
सोहैं डुपट्टा तिन जामन पर गल में परे मोतियन हार॥
रंगबिरंगी पगड़ी शिर पर तिनपर कलँगी करैं बहार ७४
हाथ लगाये हैं मुच्छन पर दहिने परी ढाल तलवार॥
पीठ दिखावै नहिं बैरी को ऐसे सबै शूर सरदार ७५
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आल्हखणड।
