किला गरेरैं अब लोहागढ़ लश्कर कूच देयँ करवाय २०
पांचो मिलिकै सम्मत करिकै डंका तुरत दीन बजवाय॥
घोड़ वेंदुला ऊदन बैठे मलखे चढ़े कबुतरी जाय २१
घोड़ मनोहर पर देबा है सय्यद सिरगा पर असवार॥
आल्हा बैठे पचशब्दा पर सुमिरिकैदेव मोहोबे क्यार २२
कूच करायो बबुरीबनते लोहा गढ़ै पहूंचे जाय॥
तोप लगायो तहँ फाटक पर बत्ती तुरत दीन करवाय २३
फाटक गाँसा जम्बै दीख्यो रानी महल पहुंचा जाय॥
चारो पुत्रन कै सुधि करिकै रोवनलाग तहां पर आय २४
बंश बूड़िगा म्बर पापी का मेरो काल रहा नगच्याय॥
बड़ो लड़ैया सब शूरन में आल्हाकेर लहुरवाभाय २५
म्वहिं भय आई त्यहि ऊदनते ताते प्राण मोर घबड़ाय॥
सुनिकै बातैं ये राजाकी बिजमाबोली बचन सुनाय २६
करिकै जादू मैं ऊदनको राखों झारखण्ड में जाय॥
इतना कहिकै चली बिजैसिनि लश्कर तुरत पहूंची आय २७
डार्यो गुटका मुखभीतर माँ जासों नजरबन्द ह्वैजाय॥
गायब ह्वैकै तहँ पर पहुँची जहँ पर रहै लहुरवाभाय २८
नारसिंह औ भैरों वाली तीसर जौन महमदा वीर॥
पुरिया डारी तहँ जादू की ह्वैगे सबै बीर आधीर २९
डारि मशान दयो लश्कर में नाही मसा तलक भन्नाय॥
जादू मारी बंगाले की ऊदन मेढ़ा लयो बनाय ३०
लैकै मेढ़ा बिजमाँ चलिभै पहुँची झारखण्ड में आय॥
गुरू झिलमिलाकी मढ़ियामाँ मेढ़ा बँधा बिजैसिनिजाय ३१
हाथ जोरिकै गुरुबाबा के औ सब हाल दील समुझाय॥
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माड़ोका युद्ध। १०५
