पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/१११

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आल्हखण्ड । १०६ चली विजेसिनि झारखण्डते पहुँची रङ्गमहल में आय ३२ जितने जादू विजमाँ डारे सो लश्कर ते लये उतार ॥ उतरी जादू जब लश्कर ते चेते सबै शूर सरदार ३३ आल्हा बोले तब मलखेते नहिं लखिपरै लहुरचा भाय॥ सुनिकै बात मलखे बोले देवा शकुनदेव वतलाय ३४ लेके पोथी ज्योतिष वाली देवा हाल गयो सब गाय ॥ गुरू झिलमिलाकी मढ़ियामाँ बांधा तहां लहुरखा भाय ३५ सुनिकै पाते ये देवा की आल्हा बहुत गयो घबड़ाय ॥ देवा बोला फिरि मलखेते गानो कही बनाफरराय ३६ बाना छोरो रजपूती का अॅगमाँ लेवो भस्म लगाय॥ योगी वनिकै हम तुम जावे तो सबकाम सिद्ध लैजायँ ३७ बातें सुनिक ये देवा की योगी वने वीर मुलखान ॥ तुरतै चलिभे झारखण्ड को पहुँचे तहाँ दूनहू ज्वान ३८ गुरूझिलमिलाकी मढ़ियाढिग गावें तान वीर मलखान ।। बाजै डमरू भल देवाकै सोपरिगईभनक त्यहिकान३६ गुरू झिलमिला बाहर आयो योगी लखा तहाँ दुइ ज्वान ।। हाथ पकरिकै लै मदिया में बाबा बड़ा कीन सनमान ४० बारे योगी हम दोउभाई ऐसा कह्यो वीर मलखान ॥ अब हम जावें हरद्वार को चाहे कळू नहीं सनमान ४१ स्मता योगी वहता पानी ये नहिं करें कों विश्राम ।। नहिं अभिलाषा क्यहू वातकी केवल जपें रामको नाम ४२ मुनिकै वार्तं ये योगी की बोलातुरतझिलमिला ज्वान। जो कल्लु मांगो सो कछु पावो हमरे बचन करो परमान ४३ सुनिक बातें ये बाबा की बोले तुरत बनाफररान ।।