छूटि सुमिरनी गै देवन कै शाका सुनो शूरमनक्यार॥
ब्याह बखानों मैं आल्हाका होई तहाँ भयानक मार ५
अथ कथाप्रसंग॥
नैनागढ़ का जो महराजा साजा सबै भांति कर्त्तार॥
राजा इन्दर का बादानी औ नैपाली नाम उदार १
तिन घर कन्या इक पैदा भै सबबिधि रूप शीलगुणखान॥
पढ़िकै विद्या सब जादूकी कछुदिनबाद भई फिरिज्वान २
संगसहेलिन के खेलति भय सुनवाँ कही तासुका नाम॥
खेल लरिकई को जाहिर है लरिका ख्यलैं चारिहूयाम ३
खेलत खेलत फुलबगिया गइँ सब मिलि करैं फुलनकी मार॥
कटहर बड़हर त्यहि बगिया में कहुँ कहुँ फूलिरही कचनार ४
उठैं सुगन्धैं कहुँ चन्दन की कतहूँ कदलिन खड़ी कतार॥
गुम्मज सोहैं मोमशिरिन के कहुँ कहुँ फुलीं चमेलीडार ५
बेला फूले अलबेला कहुँ खिन्निन लता गईं बहुछाय॥
हर्र बहेरा साँखो बिरका सीधे चले उपर को जायँ
बरगद छैले हैं नीचे को फैले भूमि रहे नियराय॥
जैसे सम्पति सज्जन पावैं नीचे शीश झुकावत जायँ ७
शीशम जानो तुम नीचनको आधे सरग फरहरा खायँ॥
चलै कुल्हाड़ा जब नीचेते गिरिकै टूक टूक ह्वैजायँ ८
को गति बरणै तहँ अधमनकै सोहैं करिल रूपते भाय॥
ताल तमालन के गिनतीना कदमन गई सघनता छाय ९
फुली नेवारी अब अगस्त्य हैं आमनडार कैलिया बोल॥
सोहैं अशोकन के बिरवा भल तीनों तहाँ क्यारी डोल १०
गूलर जामुन पाकर पीपर कोनन खड़े वृक्ष सरदार॥