पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/१२५

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४ आल्हखण्ड । १२० अब तो बाबा कलियुग आये माता सहें लात के घाय २३ सुनिक बाते ये माता की सुनवाँ चरणन शीश नवाय॥ जो कछु भाषारहै सखियनने सुनवाँ मातै गई सुनाय २४ मुनिकै बातें सब कन्या की माता रही समय को देखि ।। ॥ यकदिन ऐसा आनपहूंचा राजा रहा कन्यका पेखि २५ रानी बोली तब राजाते हमरे वचन करो परमान ॥ व्याहन लायक यह कन्या मैं सोतुमजानो नृपतिसुजान २६ सुनिकै वाते ये रानी की विजिया वेटा लीन बुलाय ।। नाई बारी को बुलवायो तिनते कह्योहालसमुझाय२७ जयो मोहोबे ना टीका ले सव कहुँ जाउ तुरतही धायें । नाई बारी तुरतै चलिमे पहुँचे नगर नगर में जाय २८ काहू टीका को लीन्ह्यो ना. नैनागढ़े पहूंचे आय ॥ खबरि सुनाई सब राजा को नेगिनचरणनशीशनवाय २६ जालिम राजा नैनागढ़ का राजन यही विचारा जीय।। मारे उरके छाती धड़के कैसेहोयँ तहांपर पीय ३० थोरी थोरी फौजें लेके नैनागढ़े पहूंचे आय। नजरी दीन्ह्यो नेपाली को राजाचरणन शीशनवाय३ सखरि तुम्हरी का नाही हैं टीका लेय कहाँ कस भाय। कुमक तुम्हारी को आयन है राजन सत्यदीन वंतलाय ३२ त्यही समैया त्यहि औसरमाँ औं सुनवाँ को सुनो हवाल । हीरामणि सुवनाको लैकै सुनवाँ भई रोवासिनिवाल ३३ म्यो चाट्यो त्यहि सुवनाको औफिरिकह्योवचन यहगाय ।। मेवा खायो भल पिंजरन में अब गाढ़े में होउ सहाय ३१ लैक पाती जाउ मोहोवे देवो उदयसिंह को जाय।