अब तो बाबा कलियुग आये माता सहैं लात के घाय २३
सुनिकैं बातैं ये माता की सुनवाँ चरणन शीश नवाय॥
जो कछु भाषारहै सखियनने सुनवाँ मातै गई सुनाय २४
सुनिकै बातैं सब कन्या की माता रही समय को देखि॥
यकदिन ऐसा आनपहूंचा राजा रहा कन्यका पेखि २५
रानी बोली तब राजाते हमरे वचन करो परमान॥
व्याहन लायक यह कन्या भैं सोतुमजानो नृपतिसुजान २६
सुनिकै बातैं ये रानी की बिजिया बेटा लीन बुलाय॥
नाई बारी को बुलवायो तिनते कह्योहालसमुझाय २७
जयो मोहोबे ना टीका लै सब कहुँ जाउ तुरतही धाय॥
नाई बारी तुरतै चलिभे पहुँचे नगर नगर में जाय २८
काहू टीका को लीन्ह्यो ना नैनागढ़ै पहूंचे आय॥
खबरि सुनाई सब राजा को नेगिनचरणनशीशनवाय २९
जालिम राजा नैनागढ़ का राजन यही बिचारा जीय॥
मारे उरके छाती धड़कै कैसेहोयँ तहांपर पीय ३०
थोरी थोरी फौजें लैकै नैनागढ़ै पहूंचे आय॥
नजरी दीन्ह्यो नैपाली को राजाचरणन शीशनवाय ३१
सरबरि तुम्हरी का नाहीं हैं टीका लेयँ कहाँ कस भाय॥
कुमक तुम्हारी को आयन है राजन सत्यदीन बतलाय ३२
त्यही समैया त्यहि औसरमाँ औं सुनवाँ को सुनो हवाल॥
हीरामणि सुवनाको लैकै सुनवाँ भई रोवासिनिबाल ३३
चूम्यो चाट्यो त्यहि सुवनाको औफिरिकह्योबचन यहगाय॥
मेवा खायो भल पिंजरन में अब गाढ़े में होउ सहाय ३१
लैकै पाती जाउ मोहोबे देवो उदयसिंह को जाय॥
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आल्हखण्ड। १२०
