पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/१२९

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आल्ह खण्ड। १२५ मीराताल्हन के लरिका ये नाहर समरधनी तलवार ॥ मन्नागूजर मोहवे वालो सोऊ वेगि भयो असवार ७० सातलाख लग फौजें सजिकै नैनागढ़ को भई तयार॥ डंका वाजें अहतका के ऊदन बेंदुलपर असवार ७१ सजे बराती सब मोहवे के जल्दी कूच दीन करवाय ।। सावरोज की मैजलि करिक फौजें अटी धुरा पर आय ७२ आठ कोस नैनागढ़ रहिगा तहँपर डेरादीन डराय॥ तम्बू गड़िगा तहँ आल्हा का बैठे सवै शूरमा आय ७३ ऊंचे ऊंचे तम्बू गड़िगे नीचे लागी खूब बजार ॥ कम्मर छोरे रजपूतन ने हाथिन होदा धरे उतार ७१ तंग बछेड़न की छोरी गईं क्षत्रिन धरा ढाल तलवार ॥ बनी रसोई रजपूतन की सबहिनजेंयलीन ज्यवनार ७५ . गा हरकारा तब तहनाते जहना भरीलाग दरवार ।। बैठक बैठे सब क्षत्री हैं एकते एक शूर सरदार ७६ गम् गम् गम् गम्तवला गम किन् किन् परी मँजीरन मार ॥ को गतिवरणे सारंगी कै होवै नाच पतुरियन क्यार ७७ खये अफीमनके गोला कोउ पलकें मूंदें औ रहिजायें ॥ कोऊ जमाये हैं मांगनको मनमाँ रहे रामयश गाय ७८ उड़े तमाखू वुटवल वाली ध्रुवना रहा तहांपर छाय॥ हाथ जोरि औ बिनती करिके धावन बोल्योशीशनवाय ७६ अई बराते क्यहु राजाकी धूरे परी धूरे परी आजही आय ।। आठकोस के दूरीपर सांची खरिदीनबतलाय ८० सुनिकै बातें नयपाली ने तीनों लड़िका लये बुलाय ।। नोगा भोगा भी विजियाते राजा बोल्यो बचन सुनाय १