मीराताल्हन के लरिका ये नाहर समरधनी तलवार॥
मन्नागूजर मोहबे वालो सोऊ बेगि भयो असवार ७०
सातलाख लग फौजें सजिकै नैनागढ़ को भई तयार॥
डंका बाजैं अहतंका के ऊदन बेंदुलपर असवार ७१
सजे बराती सब मोहबे के जल्दी कूच दीन करवाय॥
सातरोज की मैजलि करिकै फौजें अटीं धुरा पर आय ७२
आठ कोस नैनागढ़ रहिगा तहँपर डेरादीन डराय॥
तम्बू गड़िगा तहँ आल्हा का बैठे सबै शूरमा आय ७३
ऊंचे ऊंचे तम्बू गड़िगे नीचे लागीं खूब बजार॥
कम्मर छोरे रजपूतन ने हाथिन हौदा धरे उतार ७१
तंग बछेड़न की छोरी गइँ क्षत्रिन धरा ढाल तलवार॥
बनी रसोई रजपूतन की सबहिनजेंयलीन ज्यँवनार ७५
गा हरकारा तब तहँनाते जहँना भरीलाग दरबार॥
बैठक बैठे सब क्षत्री हैं एकते एक शूर सरदार ७६
गम् गम् गम् गम् तबला गमकैं किन् किन् परी मँजीरन मार॥
को गतिबरणै सारंगी कै होवै नाच पतुरियन क्यार ७७
खये अफीमनके गोला कोउ पलकैं मूंदैं औ रहिजायॅ॥
कोऊ जमाये हैं भांगनको मनमाँ रहे रामयश गाय ७८
उड़ै तमाखू बुटवल वाली धुँवना रहा तहांपर छाय॥
हाथ जोरि औ बिनती करिकै धावन बोल्यो शीशनवाय ७९
अई बरातैं क्यहु राजाकी धूरे परीं आजही आय॥
आठकोस केहैं दूरीपर सांची खबरि दीन बतलाय ८०
सुनिकै बातैं नयपाली ने तीनों लड़िका लये बुलाय॥
जोगा भोगा औ बिजियाते राजा बोल्यो बचन सुनाय ८१
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आल्हखण्ड। १२४
