पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/१३०

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आल्हाका विवाह । १२५ जावो जल्दी तुम धूरेपर हमको खबरि सुनावो आय ॥ सुनिक बातें तीनों चलिमे धूरे तुरत पहूंचे जाय ८२ ऊंचे टिकुरी तीनों चढिके दूरिते द्यखें तमाशा भाय ।। देखिकै फौजें मलखाने की तीनों गये तहाँ सन्नाय ८३ तीनों लौटे त्यहि टिकुरीते अपने महल पहूंचे आय ।। भोजन केरी फिरि बिरियामाँ राजै खबरि दीन बतलाय ८४ लगी कचहरी हाँ पाल्हाकी भारी लाग तहाँ दरबार ।। बैठक बैठे “सब क्षत्री हैं एकते एक शूर सरदार ८५ मीराताल्हन बनरसवाले आली खानदान के ज्वान । बड़े पियारे ते क्षत्रिनके अपने धर्म कर्म अनुमान ८६ सच्चे साथी रहें चारों के यारों मानों कही हमार ।। ॥ ऐसे होते जो सय्यद ना कैसे बने रहत सरदार ८७ अली अलामत औं दरियाखाँ बेटा जानवेग सुल्तान ।। औरो लड़िका रहें सय्यदके एकते एक रूप गुणखान ८८ मन्नागूजर मोहबे वाला बैठा बड़ा सजीला ज्वान ।। रुपनाबारी ते त्यहि समया बोले तहाँ बीर मलखान ८९ ऐपनवारी बारी लेके राजेदार पहूंचो जाय । सुनिक बातें मलखाने की रुपना बोला शीशनवाय है. औरो नेगी मोहवे वाले आये साथ बनाफरराय ॥ ऐपनवारी बारी लैकै दारे मुड़ कटावै जाय ६१ सुनिकै बातें ये रुपना की बोले तुरत उदयसिंहराय ।। तुमको नेगी हम मानें ना जानें सदा आफ्नो भाय ६२ ददा बियाहन को रहि हैं ना बतियाँ कहिबे को रहिजायँ ॥ यश नहिंजावै नर मरिजावै परहित देव मूडकटाय ६३ 1