पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/१३२

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आल्हाका विवाह । १२७ केसो वारी यहु आयो है नाहर घोड़ेका असवार ।। नालिम राजा नेपाली है तासों कीन चहै तलवार १०६ यहै सोचिकै द्वारपालने श्री रूपन ते कहा सुनाय ।। गरमी तुम्हरी जो उतरी हो बोलो ठीक ठीक तुम भाय१०७ मुनिकै बातें दरखानी की रूपन गरू दीन ललकार ॥ नगर मोहोबा जगमें जाहिर नामी मोहबे के सरदार १०८ तिनको नेगी मैं दारेपर लीन्हे खड़ा ढाल तलवार । जौन शूरमा हो नैनागढ़ आवै देय नेग सो द्वार १०९ इतनी सुनिक दरवानी ने राजै खबरि सुनाई जाय । ऐपनवारी बारी लावा, भारी बात कहै सो गाय ११० चारिधरीभर चलै सिरोही द्वारे बहै रनकी धार ।। जौन शूरमाहो राजाघर. आवै देय नेग सो बार १११ इतना - सुनते महराजाके नैना अग्नि बरण लैजायँ ।। पूरण राजा पटनावाला. बोला रोजै बचन सुनाय ११२ हम चलिजावे अब दारेपर बारी नेग देय चुकवाय ॥ इतना कहिकै चलि ठादो भो साथै औरो चले रिसाय ११३ सवैया॥ दार चले तलवार लिये रट मारहि मार कुमारन पेखा। लाल गुपाल गहे करबाल ख्यलें नसफाग भयउ तस भेखा ।। मार अपार जुझार किये औ गिरे रणखेत रहे नहिं शेखा। पारीकर कबरारी नृपै ललिते मलखान कि है यह लेखा११४ पूरन' राजा पटना वाला लीन्हे नांगि हाथ तलवार ।। सोधरि धमका त्यहि रूपनके रूपन लीन दालपर वार ११५ 1