केसो बारी यहु आयो है नाहर घोड़ेका असवार॥
जालिम राजा नैपाली है तासों कीन चहै तलवार १०६
यहै सोचिकै द्वारपालने औ रूपन ते कहा सुनाय॥
गरमी तुम्हरी जो उतरी हो बोलो ठीक ठीक तुम भाय १०७
सुनिकै बातैं दरवानी की रूपन गरू दीन ललकार॥
नगर मोहोबा जगमें जाहिर नामी मोहबे के सरदार १०८
तिनको नेगी मैं द्वारेपर लीन्हे खड़ा ढाल तलवार॥
जौन शूरमा हो नैनागढ़ आवै देय नेग सो द्वार १०९
इतनी सुनिकै दरवानी ने राजै खबरि सुनाई जाय॥
ऐपनवारी बारी लावा, भारी बात कहै सो गाय ११०
चारिघरीभर चलै सिरोही द्वारे बहै रक्तकी धार॥
जौन शूरमाहो राजाघर आवै देय नेग सो द्वार १११
इतना सुनतै महराजाके नैना अग्नि बरण ह्वैजायँ॥
पूरण राजा पटनावाला बोला रोजै बचन सुनाय ११२
हम चलिजावैं अब द्वारेपर बारी नेग देयँ चुकवाय॥
इतना कहिकै चलि ठाढ़ो भो साथै औरो चले रिसाय ११३
सवैया॥
द्वार चले तलवार लिये रट मारहि मार कुमारन पेखा।
लाल गुपाल गहे करबाल ख्यलैं जसफाग भयउ तस भेखा॥
मार अपार जुझार किये औ गिरे रणखेत रहे नहिं शेखा।
बारीकरै कब रारी नृपै ललिते मलखान कि है यह लेखा ११४

पूरन राजा पटना वाला लीन्हे नांगि हाथ तलवार॥
सो धरि धमका त्यहि रूपनके रूपन लीन ढालपर वार ११५