कोउ कोउ घोड़ा मोर चालपर कोउ कोउ सरपट रहे भगाय १२
कोउ कोउ घोड़ा हंस चालपर कोउ कोउ चले कदमपरजायँ॥
कोउ कोउ घोड़ा ऐसे जावैं जिनकै टाप न परै सुनाय १३
कोउ कोउ घोड़ा कावा देखैं कोउ कोउ गर्जि रहे असवार॥
कउँधालपकनिबिजुलीचमकनि चमचम चमाचम्म तलवार १४
घन घन घन घन घंग बाजैं घूमत चलैं मत्त गजराज॥
बल बल बल बल करैं साँड़िया भागत चलैं समर के काज १५
हिनहिन हिन हिन घोड़ा हींसैं खीसैं कायर देखि परान॥
छाय अँधेरिया गै पृथ्वी में गर्द्दा छाय गई असमान १६
देवता सकुचे आसमान में जंगल जीव गये थर्राय॥
घरी चार के फिरि अर्सा में सेना अटी समर में आय १७
धूली दीख्यो आसमान में मलखे बोल्यो बचन सुनाय॥
सजो बेंदुला के चढ़वैया फौजै गईं उपर अब आय १८
सुनिकै बातैं मलखाने की ऊदन गरू दीन ललकार॥
सजो सिपाही मोहबे वाले सबियाँ फौज होय तैयार १९
झीलम बखतर पहिरिसिपाहिन हाथ म लीन ढाल तलवार॥
सिरगा घोड़े की पीठीमाँ सय्यद तुरत भये असवार २०
चढ़ो कबुतरी में मलखाने अपनी लिये ढाल तलवार॥
घोड़ मनोहर की पीठीमाँ देबा चढ़त न लागी वार २१
बड़ि बड़ि तो अष्टधातु की सो चरखिन में दीन चढ़ाय॥
लै लै थैली बारूदन की सो तोपन में दई चलाय २२
बत्ती दइ दइ फिरि तोपन में रंजक तुरत दीन धरवाय॥
बम्बके गोला छूटन लागे परलय जनो गई नगच्याय २३
गोली ओला सम वर्षत भइँ भनभन भन्नभन्न भन्नाय॥
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आल्हाका विवाह। १३१
