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पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/१३७

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आल्हखण्ड। १३२

सर सर सर सर कै शर छूटैं मन मन मन्न मन्न मन्नाय २४
खट खट खट खट तेगा बोलैं हट हट करैं लड़ेता ज्वान॥
बड़ी लड़ाई भै नैनागढ़ जोगा भोगा के मैदान २५
सूंढ़ि लपेटा हाथी भिड़िगे अंकुश भिड़े महौतनकेर॥
हौदा हौदा यकमिल ह्वैगे मारैं एक एकको हेर २६
सात लाख दल मलखे लीन्हे भोगा पांच लाख परमान॥
मीराताल्हन औ जोगाका परिगा समर बरोबरि आन २७
भोगा बोला तब ऊदनते ओ परदेशी बात बनाय॥
कहाँते आयो औ का करिहौ आपन हाल देव बतलाय २८
ऊदन बोले तब भोगाते तुमते सत्य देयँ बतलाय॥
देश हमारो नगर मोहोबा जहँपर बसै चँदेलाराय २९
छोटे भैया हम आल्हाके औ ऊदनहै नाम हमार॥
सुनवाँ ब्याहन आल्हा आये मानों सत्य बचन सरदार ३०
बाँधिकै मुशकै त्वरे बप्पाकी भँवरी फिरी बड़कवा भाय॥
नीके ब्याहौ घर फिरिजावो अपने बाप देउ समुझाय ३१
सुनिकै बातैं ये ऊदन की भोगा कालरूप ह्वैजाय॥
धोखे माड़ो के मूल्यो ना जहँ लै लियो बापका दायॅ ३२
जाति बनाफर की ओछी है औ सब क्षत्रिन केर उतार॥
कठिन बिसाने जग में जाहिर मोहबे लौटि जाउ सरदार ३३
बातैं सुनिकै ये भोगा की बोला बिहँसि लहुरवा भाय॥
नदिया भागैं तौ गंगाजायँ गंगा भागि समुन्दर जायँ ३४
महादेव अर्धाते भागैं धरती लौटि रसातल जाय॥
ऊदन भागैं समरभूमिते तौ फिरिभागिकहांकोजायँ ३५
इतना कहिकै बघऊदनने सुमिरी हृदय शारदा माय॥