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पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/१४५

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आल्हखण्ड। १४०

भगैं सिपाही चौगिर्दा ते भारी होत चलै गलियार ११८
मन्नागूजर ऊजर कीन्ह्यों देवै कठिन कीन तलवार॥
को गति बरणै तहँ रुपनाकी रणमाँ मली मचाई मार ११९
पूरन राजा पटनावाला भाला लिये हनै दश पांच॥
को गति बरणै तहँ भोगाकै घोड़ा उपर रहा सो नाच १२०
हनि हनि मारै चौगिर्दा ते गई हाँक देय ललकार॥
इतना सुनिकै मलखे ठाकुर तुरतै खैंचिलीन तलवार १२१
ऊदन बोले तब मलखे ते दादा मोहबे के सरदार॥
सुनवाँ भौजी का भैयाहै आई मड़ये के त्यवहार १२२
इतना सुनिकै मलखे ठाकुर फौजन तरफ पहूंचाजाय॥
बहुतन मार्यो तलवारी सों बहुतनहन्यो ढालके घाय १२३
इतना कहिकै ऊदन चलिभे जोगा पास पहुंचे जाय॥
जोगा बोला तब ऊदनते मानो कही बनाफरराय १२४
बड़ी दूरिते चलिआयो है आपनि लोह दिखावो आय॥
सुनिकै बातैं ऊदन बोले ठाकुर सत्य देयँ बतलाय १२५
मोरे मोहोबे में किरिया भै जो करि डरी चँदेलोराय॥
कोऊ आवै समरभूमि में आपनिलोह दिखावैआय १२६
पहिले ल्वाहै वहिकी देखो पाछे आपनि देवदिखाय॥
मारो मारो समर भूमि में नहिंशककरोमनैकछुभाय१२७
इतना सुनिकै जोगाठाकुर तुरतै लीन्ह्यो साँग उठाय॥
मनाएक के सो अंदाजन ऊदन ऊपर दयोचलाय १२८
घोड़बेंदुला ऊपर उड़िगा नीचे सांगगिरी अरराय॥
बचा बेंदुलाका चढ़वैया आल्हाकेर लहुरवाभाय १२९
ऊदन बोले फिरि जोगा ते दूसरि बार करो सरदार॥