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पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/१५०

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आल्हाका बिवाह। १४५

देखि तमाशा द्वारपाल तहँ ऊदन निकट पहूंचे आय॥
साथ तुम्हारे द्वै घोड़ा हैं औ असवार एक तुम भाय ३१
रूप तुम्हारो बयपारी को आयो कौन देश ते भाय॥
घोड़ा लायेते काबुलते बेचे सबै कनौजै जाय ३२
एक इकेलो यह बाकी है राजै खबरि सुनावै जाय॥
इतना सुनिकै द्वारपाल फिरि राजै दीन्ह्यो खबरि बताय ३३
खबरि पायकै अरिनन्दन फिरि द्वारे पौंरि पहूंचे आय॥
घोड़ पपीहा मोहबेवाला राजा देखिगये हरषाय ३४
राजा बोले बघऊदन ते याकी कीमति देवबताय॥
ऊदन बोले अरिनन्दनते साँचे बचन देयँ बतलाय ३५
पहिले चढ़िकै यहि घोड़ेपर कोऊ ज्वान नचावै आय॥
हाल देखिल्यो यहि घोड़ेका तब मैं कीमति देउँ बताय ३६
सुनिकै बातैं सौदागरकी राजै हुकुम दीन फर्माय॥
बैठे क्षत्री जो कोउ जावै घोड़ा टापन देय हटाय ३७
होय मोहबिया कोउ मोहबेका घोड़ा देखि सीध ह्वैजाय॥
टेढ़े घोड़ेके चढ़वैया मोहबे बसैं बनाफरराय ३८
सुनिकै बातैं सौदागरकी तुरतै आल्है लीन बुलाय॥
हुकुम लगायो अरिनन्दनने घोड़ा बैठि नचावोभाय ३९
हुकुम पायकै अरिनन्दनको घोड़ा चढ़े बनाफरराय॥
घोड़ नचायो भल आल्हाने ऊदन बोल्यो बचन सुनाय ४०
जल्दी चलिये अब लश्करको दादा काह रह्यो पछिताय॥
नाम हमारो उदयसिंह है ओ अरिनन्दन बात बनाय ४१
इतना कहिकै बघऊदनने आपन घोड़ दीन दौड़ाय॥
आल्हौ चलिभे फिरिजल्दीसों लश्कर दोऊ पहुंचेभाय ४२

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