मलखे बोले फिरि आल्हाते लश्कर कूच देव करवाय॥
यह मन भाई तब आल्हा के डङ्का तुरत दीन बजवाय ४३
हाथी सजिगा पचशब्दा तब आल्हा तुरत भयो असवार॥
हरनागर घोड़े के ऊपर मैने चढ़ा चँदेले क्यार ४४
घोड़ मनोहर देबा बैठा सिरगा बनरसका सरदार॥
सोहे कबुतरी पर मलखे भल ऊदन बेंदुलपर असवार ४५
मन्नागूजर रूपन बारी दोऊ बेगि भये तय्यार॥
झीलमबखतर पहिरिसिपाहिन हाथम लई ढाल तलवार ४६
कूचके डङ्गा बाजन लागे घूमन लागे लाल निशान॥
घोड़ी कबुतरी के ऊपरमाँ आगे फिरैं बीर मलखान ४७
खर खर खर खर कै रथ दौरैं रब्बा चलैं पवनकी चाल॥
मारु मारु के मौहरि बाजै बाजै हाव हाव करनाल ४८
इतते लश्कर गा आल्हाका जोगा उतै पहूंचा आय॥
बम्बके गोला छूटन लागे हाहाकारी शब्द सुनाय ४९
जौने हाथी के गोला लागै मानों गिरा महल अरराय॥
जौने क्षत्री के गोला लागै साथै उड़ा चील्हनमजाय ५०
जौने बछेड़ा के गोला लागै धुनकन रुईसरिस उड़िजाय॥
गोला लागै ज्यहि सँड़िया के सो मुहभरा गिरै अललाय ५१
जौने बैलके गोला लागै तरवर पात ऐस गिरिजाय॥
दुनो गोल आगे को बढ़िगे तोपन मारु बन्द ह्वैजाय ५२
मारू बॅदूखै मो मालाकी बलछी कड़ाबीन की मार॥
चलैं कटारी वूंदीवाली ऊना चलै विलाइत क्यार ५३
कति कटि क्षत्री गिरैं खेतमें उठि उठि रुण्ड करें तलवार॥
मड़न करे मुड़चौरा मे औ रुण्डन के लगे पहार ५४
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आल्हखण्ड। १४६
