धन्य बखानों द्वउ रानिनको जिनके पूत सुपूते चार॥
धन्य बखानों मलखाने को माड़ो भलीकीन तलवार १०३
भुजा उखार्यो ज्यहि अभईके आल्हाकेर लहुरवा भाय॥
तीनों चलिये अब मड़ये को भौंरी तुरत देयँ करवाय १०४
इतना सुनिकै मलखे बोले फौजन डंका देउ बजाय॥
कह नयपाली सुन मलखाने इकलो दूलह देउ पठाय १०५
कह मलखाने सुन नैपाली तुमसों सत्य देयँ बतलाय॥
किरिया करलो श्रीगंगाकी ब्याहन तबै तुम्हारे जायँ १०६
यह मनमाई नयपाली के किरिया तुरत कीन सरदार॥
तीनों लड़िका मलखे छोंड़े आपौ फाँदिभये असवार १०७
देबा ऊदन मन्नागूजर सय्यद बनरस का सरदार॥
सजि जगनायक मोहबेवाला रूपन बारी भयो तयार १०८
आल्हा बैठे फिरि पलकी में मनमें श्रीगणेशपद ध्याय॥
सबियाँ चलिभे नैनागढ़ को महलन तुरत पहूंचे जाय १०९
खम्भा गड़िगा तहँ चन्दन का मालिन माड़ो कीन तयार॥
सखियाँ आईं नयपाली घर गावन लगीं मंगलाचार ११०
चढ़ो चढ़उवा जब सुनवाँ का फाटक बन्द लीन करवाय॥
क्षत्री आये जे लड़ने को ते कोठेपर रखे छिपाय १११
भो गठिबन्धन जब आल्हा को थाल्हा गड़ा शूरमन क्यार॥
प्रथमै पूज्यो श्रीगणेश को गौरीनन्दन शम्भु कुमार ११२
भाँवरि पहिली के परतैखन पण्डित कीन बेद उच्चार॥
जोगा मार्यो तलवारी को ऊदन लीन ढालपर वार ११३
भाँवरि दूसरिके परतैखन भोगा हनी तुरत तलवार॥
मलखे ठाढ़े रहैं दहिने पर सो लै लई ढालपर वार ११४
पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/१५६
दिखावट
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
३५
आल्हाका बिवाह। १५१
