पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/१५६

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भाल्हाका विवाह । १५१ धन्य बखानों दउ रानिनको जिनके पूत सुपूते चार ॥ धन्य बखानों मलखाने को माड़ो भलीकीन तलवार १०३ भुजा उखास्यो ज्यहि अभईके आल्हाकेर लहुरवा भाय ।। तीनों चलिये अब मड़ये को भौंरी तुरत देय करवाय १०४ इतना सुनिकै मलखे बोले फौजन डंका देउ बजाय ॥ कह नयपाली सुन मलखाने इकलो दूलह देउ पठाय १०५ कह मलखाने सुन नेपाली तुमसों सत्य देय बतलाय ॥ किरिया करलो श्रीगंगाकी ब्याहन तबै तुम्हारे जायँ १०६ यह मनमाई नयपाली के किरिया तुरत कीन सरदार ॥ तीनों लड़िका मलखे बोंड़े आपो फाँदिभये असवार १०७ देवा ऊदन मन्नागूजर सय्यद बनरस का सरदार।। सजि जगनायक मोहबेवाला रूपन बारी भयो तयार १०८ आल्हा बैठे फिरि पलकी में मनमें श्रीगणेशपद ध्याय ॥ सबियाँ चलिभे नैनागढ़ को महलन तुरत पहूंचे जाय १०६ खम्भा गड़िगा तहँ चन्दन का मालिन माड़ो कीन तयार ॥ सखियाँ आई नयपाली घर गावन लगीं मंगलाचार ११० चदो चढ़उवा जब सुनवाँ का फाटक बन्द लीन करवाय ।। क्षत्री आये जे लड़ने को ते कोठेपर रखे छिपाय १११ भो गठिवन्धन जब आल्हा को थाल्हा गड़ा शरमन क्यार।। प्रथमै पूज्यो श्रीगणेश को गौरीनन्दन शम्भु कुमार ११२ भावरि पहिली के परतैखन पण्डित कीन बेद उच्चार ।। जोगा मारयो तलवारी को ऊदन लीन ढालपर वार ११३ भावरि दूसरिके परतखन भोगा हनी तुरत तलवार । मलखे ठाढ़े हैं दहिने पर सो ले लई दालपर वार ११४