पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/१५८

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आल्हाका विवाह । १५३ सुनवाँ पूछयो जोमालिनि ते मालिनिखबरिदीनबतलाय१२५ रूप गुजरियाको सुनवाँ करि पहुंची नाह निकट सो जाय ॥ रूप देखिकै त्यहि गूजरिको मोहित भयो बनाफरराय १२६ जस बतलान्यो ये गूजरिसों गूजरि तैस दीन समुझाय ॥ मुंदरी दीन्ह्यो फिरि गूजरिको मालिनिघरै पहूंची आय १२७ सब समुझायो फिरि ऊदन को सांचे हाल दीन बतलाय ॥ घोड़ करिलिया औ रसबेंदुल लैकै गयो लहुरवाभाय १२८ खबरि पायकै बयपारी के द्वारे नृपति पहूंचा आय ॥ बनो कबुलिहा बघऊदन है सांचो आगा परै दिखाय १२६ राजा पूछयो बयपारी सों सांची कीमत देव बताय॥ ऊदन बोल्यो नयपाली सों चढिकदेखिलेयकोउआय १३० चाल देखिल्यो इन घोड़नकी पाछे कीमत देय बताय ॥ मुनिकै बातें ब्योपारी की राजे हुकुमदीन फर्माय १३१ जावें क्षत्री जो घोड़न ढिग ताको टापन देय हटाय ॥ मुखसों का. ऊपर उल” कोउरजपूतपास नाजाय १३२ देखि तमाशा यहु महराजा तुरतै आल्हा लीन बुलाय॥ घोड़ा फेरो तुम फाटक में इनकीचाल देव दिखराय १३३ किह्यो इशारा बघऊदन ने घोड़ा चढ़े बनाफरराय ॥ बैठ बेंदुलापर बघऊदन आपननामदीन बतलाय १३४ बाग उठायो दउ घोड़न की फाटक पार पहूंचे आय ॥ मालिनि घरते सुनवाँ चलिभै तुरतै पलकी लीन मँगाय१३५ तीनों पहुंचे फिरि लश्कर में डंका बजन लाग घहराय ॥ चलि मैं फौजें मलखाने की पहुंचीं प्रागराज में आय १३६ जितने क्षत्री रहँ लश्कर में सबियाँ करनगये असनान ॥