पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/१५९

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आल्हखण्ड । १५४ हनवन करिके तिखेनीको दीन्ह्योदिजनदानसबचान१३७ बृक्ष अक्षयवटको पूजन करि पहुंचे भरद्वाज प्रस्थान ।। ॥ बेनीमाधो के दर्शन करि दीन्ह्योदिजन सूबरणदान १३८ हाथी घोड़ा स्थ कपड़ा औ गहना दीन'द्विजन बलवाय॥ भये अयाचक सब याचक्रगण जय जयरहे बनाफर राय १३६ बेठिकै गंगा के तट ऊपर क्षत्रिन हवनकीन हरपाय ॥ स्वाहा स्वाहा बहुद्विज बोलें कहुँ २स्वधास्वधागालाय १४० स्वधा औ स्वाहा ते छुट्टीकरि विपन भोजन दीन कराय॥ भोजन करिके सब द्विज तहते अपने घरनगये सुखपाय १४१ कूच करायो फिरि मलखाने डंका बजत फौज में जाय ॥ देवलि विरमा द्वारे ठाढ़ी देखें बाट बनाफरराय १४२ राह निहारें नित पुत्रन की काधों ऐहैं पुत्र हमार॥ जौन मुसाफिर आवत देखें ताको करें बड़ा सतकार १४३ हाल न पावें जब पुत्रन को तब फिरि जा घरै निराश ।। रानी मल्हना महलन ऊपर नितप्रतिकरैमिलनकीआश१४४ तवलों रुपना आगे आयो पाछे फौज पहूंची आय॥ बड़ी खुशाली भै मोहने माँ दौरे सबै नारिनर धाय १४५ मल्हना देवलि विरमातीनों पलकी पास पहूँची जाय। मनियादेवन को पलकी गै पूजनकीन बहुरियाआय १४६ आल्हा मलखे देवा ऊदन अक्षत चन्दन फूल चढ़ाय॥ मनियादेवन की परिकरमा क्षत्रिन सबन कीन हर्षाय १४७ तहते आये फिरि दारे को तुरते पण्डित लीन बुलाय ॥ आरति लेकै फिरि सोने की तामें चौमुख दिया बराय १४० घर परछौनी मल्हना कीन्यो भीतर गये बनाफर राय ॥