ब्याह बिसेने के करिबे ना टीका तुरत दीन लौटाय॥
सूरज चलिमे तहँ दिल्ली ते कनउज फेरि पहूंचे आय २२
हैं कनवजिया जहँ बाम्हन बहु बड़ बड़ महल परैं दिखराय॥
वेद पुराणन की चर्चा तहँ घरघरअधिक२ अधिकाय २३
सूरज पहुँचे जब ड्योढ़ी में बोला द्वारपाल शिरनाय॥
कौने राजाके लड़िकाहौ राजै खबरि देयँ पहुँचाय २४
बातैं सुनिकै द्वारपाल की सूरज हाल दीन समुझाय॥
द्वारपाल सुनि गा राजा ढिग तुरतै खबरि सुनाई जाय २५
सुनिकै बातैं दरवानी की राजै हुकुम दीन फरमाय॥
द्वारपाल सूरज ढिग आयो लैकै सभा पहूँचा जाय २६
चिट्ठी दीन्ह्यो तहँ सूरज ने जयचँद पढ़ा बहुत मनलाय॥
क्यहिका लड़िका घरभारू है पथरीगढ़ै बियाहन जाय २७
घोड़ अगिनिया जिनकेघरमाँ ज्यहिके मारे फौज बिलाय॥
तुरतै टीकाको लौटार्यो यहु महराज कनौजीराय २८
चलिभे सूरज तहँ कनउजे ते उरई फेरि पहूंचे आय॥
पांचकोस मोहवे के आगे मार हिरन उदयसिंहराय २९
सूरज ऊदन यकमिल ह्वैगे दुनों कीन्ह्यो रामजुहार॥
ऊदन पूछैं तहँ सूरज ते ठाकुर पथरी के सरदार ३०
टीको ऐसो का लै गमन्यो नेगी संग तुम्हारे चार॥
सूरज बोलो तब ऊदन ते ठाकुर बेंदुलके असवार ३१
निकरे हनवन हम गहा के सॉचे हाल दीन बतलाय॥
काह शिकारै तुम आयो है अकसर बनै उदयसिंहराय ३२
सुनिकै बातैं ये सूरज की बोला तुरत बनाफरराय॥
किह्यो बहाना तुम सूरज है नेगी संग लियेहौ भाय ३३
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आल्हखण्ड। १६०
