हनवन केरी यह सामा ना झूंठी बात रह्यो बतलाय॥
सूरज बोले फिरि ऊदन ते सांची सुनो बनाफरराय ३४
टीका लाये हम बहिनी का दिल्ली कनउज अये मँझाय॥
टीका लीन्ह्यो क्यहु क्षत्री ना जावैं लौटि बनाफरराय ३५
इतना सुनिकै ऊदन बोले हमपर शारद भई सहाय॥
दादा क्वारे मलखाने हैं टीका लिहे चलो तुम भाय ३६
सुफल तुम्हारी मेहनत होई हमरों काज सिद्ध ह्वै जाय॥
सुनिकै बातैं ये ऊदन की सूरज बोला बचन रिसाय ३७
नहीं आज्ञा महराजा की टीका नग्र मोहोबे जाय॥
जाति बनाफर की होनी है कीरति रही जगत में छाय ३८
सुनिकै बातैं ये सूरज की बोला उदयसिंह सरदार॥
नीके जैहौ तौ लैजैहौं नहिं यह देखिलेउ तलवार ३९
सुनिकै बातैं ये ऊदन की नाई बारी उठे डेराय॥
ते समुझावैं भल सूरजको मानो कही बिसेनेराय ४०
रारि न करियो तुम ऊदनते नामी देशराज को लाल॥
पाँच कोस मोहबा है बाकी जहँ पर बसैं रजापरिमाल ४१
सुनि सुनि बातैं सबनेगिनकी सूरज मनै गयो तसआय॥
नेगिन लैकै सूरज ऊदन पहुँचे जहाँ चँदेलोराय ४२
सजी कचहरी परिमालिक की भारी लाग राज दरबार॥
ब्रह्मा आल्हा मलखे देबा सय्यद बनरसका सरदार ४३
देखिकै सूरजको परिमालिक बोले मधुर बचन मुसुकाय॥
कहाँते आयो औ कहँ जैहौ आपन हाल देउ बतलाय ४४
सुनिकै बातैं परिमालिककी सूरज यथातथ्य गे गाय॥
हाल जानिकै सब चंदेलो बोला सुनो बनाफरराय ४५
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