पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/१६६

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मलखानका विवाह । १६१ हनवन केरी यह सामा ना भूठी बात रह्यो बतलाय ॥ सूरज चोले फिरि ऊदन ते सांची सुनो बनाफरराय ३४ टीका लाये हम बहिनी का दिल्ली कनउज अये मँझाय ।। टीका लीन्हो क्यहु क्षत्री ना जावे लौटि बनाफरराय ३५ इतना सुनिकै ऊदन बोले हमपर शारद भई सहाय ॥ दादा कारे मलखाने हैं टीका लिहे चलो तुम भाय ३६ सुफल तुम्हारी मेहनत होई हमरों काज सिद्ध है जाय । सुनिकै बातें ये ऊदन की सूरज बोला बचन रिसाय ३७ नहीं आज्ञा महराजा की टीका नन मोहोचे जाय ।। जाति बनाफर की होनी है कीरति रही.जगत में छाय ३८ मुनिकै बातें ये सूरज की बोला. उदयसिंह , सरदार। ॥ नीके जैहो तो लैजहाँ नहिं यह देखिलेउ तलवार ३६ सुनिक वाते ये ऊदन की नाई बारी उठे. डेराय ।। ते समुझावे भलः सूरजको मानो कही विसेनेराय ४० रारिन करियो तुम ऊदनते नामी देशराज को लाल । पाँच कोस मोहबा है बाकी जहँ पर बसे रजापरिमाल ४१ सुनि सुनि बातें सबनेगिनकी सूरज मनै गयो तसआय ।। नेगिन लेके सूरज ऊदन पहुँचे जहाँ चंदेलोराय ४२ सजी कचहरी परिमालिक की भारी लाग राज दरवार ।। ब्रह्मा आल्हा मलखे देवा सय्यद बनरसका सरदार ४३ देखिके सूरजको परिमालिक बोले मधुर वचन मुसुकाय ।। कहाँते आयो औ कह जहाँ आपन हाल देउ बतलाय ४४ सुनिके बातें परिमालिककी सूरज यथातथ्य गे गाय ।। हाल • जानिके सब चंदेलो बोला सुनो बनाफरराय १५