पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/१७०

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। मलखानका विवाह । १६५ दिल्ली कनउज औ नेनागढ़ उरई न्यवत दीन पठवाय ।। सिरउज पनउज औ बौरी में न्यवता भेजा चंदेलोराय ८२ पायकै चिट्ठी परिमालिककै इनको मानि बड़ो व्यवहार ॥ नगर मोहोवे के जानेको राजा होन लागि तय्यार ८३ बाजे डंका अहतंका के राजन कूचदीन करवाय ।। तेरस केरो शुभ मुहूर्त पद मोहवे गये सबै नृप आय ८४ तम्बू गाडगे महराजन के खातिर कीन उदयसिंहराय ॥ पढ़े पढ़ाये सब क्षत्री हैं अपने धर्म कर्म समुदाय ८५ उचित औ अनुचितके ज्ञातारहै जान राजनीति सब भाय ।। देश आरिया यह पाजत है भाग्य कहे बसिँदा जायँ ८६ आरय ऊदन त्यहि समया में सबको खुशी कीन अधिकाय ।। तुरत नगड़ची को बुलवायो तासों को हाल समुझाय ८७ बाजे डंका अब मोहबे माँ सबियाँ फौज होय तय्यार।। सुनिके पाते ये ऊदन की डंका बजनलाग त्यहिबार ८८ . मलखे आये फिरि महलन में होवन लाग तेल त्यवहार ॥ एक कुमारी तेल चढ़ावे गावे सबै मंगलाचार ८६ माय मन्तरा भे दुसरे दिन नहखुर समयगयो फिरिआय ॥ लेके महाउर नाइनि भाई नहखुर करन लागि हर्षय ६० जो कछु माँग्यो ज्यहि नेगी ने मल्हना दीन ताहिसमुझाय ।। मनके भाये जब सब पाये नेगिन खुशी कहीनाजाय ६१ - कुँवा बियाहन के समय में मलखे चढ़ पालकी धाय ।। विटिया मल्दना की चन्दावाल राई नोन उनारति जाय ६२ जायके पहुंचे फिरि कुँवनापर विरमा पैर दीन लटकाय ॥ भाँवरि घम्यो मलखाने ने लीन्यो माता पैर उठाय ६३