तिमर नगाड़ाके बाजत खन क्षत्रिन कुच दीन करवाय॥
बाजे डंका अहतंका के बंका चले शूर समुदाय १०६
मारु मारुकै मौहरि बाजै बाजै हाव हाव करनाल॥
खर खर खर खर कै रथ दौरे रब्बाचले पवनकी चाल १०७
लक्ष पताका यकमिल ह्वैगे नभमाँ गई लालरी छाय॥
धूरि उड़ानी हय टापन सों बाबा सूरज गये छिपाय १०८
व्याकुल ह्वैकै पक्षी भागे जंगल जीव गये थर्राय॥
चली बरातैं मलखाने की हमरे बूत कहीं ना जाय १०९
सात रोजकी मैजलि करिकै पहुँचे तुरत धुरेपर आय॥
तम्बू गड़िगे महराजन के झंडा सरग फरहरा खायँ ११०
सजिगा तम्बू तहँ आल्हा का भारी लाग खूब दरबार॥
चूड़ामाणि पण्डित तहँ आयों साइति लाग्योकरनबिचार १११
साइति नीकी अब आई है ऐपनवारी देउ पठाय॥
हाथ जोरिकै रूपन बोला नेगी कौन तहाँ को जाय ११२
हम नहिं जैहैं पथरी गढ़को सांची सुनो बनाफरराय॥
बातैं सुनिकै ये रूपन की बोलातुरत लहुरवा भाय ११३
घोड़ी कबुतरी दादावाली रूपन चढ़ो ताहिपर जाय॥
बानाराखे रजपूती का कैसे बने जनाना भाय ११४
सवैया॥
प्राण न प्यार करैं रणशूर कहैं ललिते हम सत्य बिचारी।
सोनकोधारि झमा झमकारि सो जातसदा पियसेजमें नारी॥
पाय निशा चमकै तहँ नारि सो रारिकिये चमकै तलवारी।
रारिकिये यश शूरने होत सो कूरनकी अपकीरति भारी ११५