सुनिकै बातैं ये ऊदनकी रूपन बहुतगयो शर्माय॥
घोड़ी कबुतरी पर चढ़ि बैठ्यो ऐपनवारी लीन उठाय ११६
माथ नायकै सब क्षत्रिन को मनियादेव हृदय सों ध्याय॥
चारिघरी के फिरि अरसा माँ फाटक उपर पहूंचा आय ११७
हुकुम दर्ररै हुकुम दर्ररै साहेबजादे बात बनाय॥
कहाँते आये औ कहँ जैहै आपन काम देय बतलाय ११८
सुनिकै बातैं दरवानी की बोला घोड़ी का असवार॥
नगर मोहोबा जगमें जाहिर नामी मोहबे के सरदार ११९
ब्याहन मलखे को आयन है मानो साची कही हमार॥
ऐपनवारी बारी लायो बोलो ठाढ़ो राज दुवार १२०
नेग आपने को झगरत है भारी नेग चहै कछुद्वार॥
नेग आपनो का तुमचाहौ बोलो घोड़ी के असवार १२१
घोड़ी जोड़ी लैकै जाई डांड़े परे तासु भर्त्तार॥
बोलु गवाँरे अब ऐसे ना द्वारे चहौं चलै तलवार १२२
सुनिकै बातैं ये रूपन की चकृत द्वारपाल भा द्वार॥
फिरि २ देखै दिशि रूपन के फिरि २ लावै शोच बिचार १२३
ऐसो बारी हम देखा ना जैसो आयो आज दुवार॥
सोचि समुझिकै फिरिसो बोला बोलो घोड़े के असवार १२४
गरमी तुम्हरी अब कछु उतरी बोलो नेग काह तुम द्वार॥
चार घरी भर चलै सिरोही दारे बहै रक्त की धार १२५
नेग हमारो यह साँचा है याँचा द्वार तुम्हारे आय॥
जौन शमा हो पथरीगढ़ हमरो नेग देय चुकवाय १२६
ऐसे वैसे हम बारी ना मारी सदा शूर दश पांच॥
खबरि सुनावै तू राजा का तेरी निकरिपरै कस कांव १२७
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आल्हखण्ड। १६८
