पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/१७६

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

मलखानका विवाह । १७१ आदर करिक बड़ माहिल का बोले मधुर बचन नरपाल ? ऐपनवारी बारी लायो कीन्ह्यो कठिन बार तलवार ।। कैसे मरिहैं मोहवे वाले बोलो उरई के सरदार २ मुनिक बात ये राजा की माहिल बोले बचन उदार ॥ ज्यहि की नीकी बेटी द्यावं ऊदन गाँसें तासु दुवार ३ मिर्चवान व्याहे की पठवो तामें जहर देव मिलवाय ।। बिना बयारी जूना टूटै औ बिन औषध हटै क्लाय . वाते सुनिक ये माहिल की राजा मनै फूलिगा भाय॥ जहर घुरायो त्यहि शर्वत माँ सूरज पुत्र दीन पठवाय ५ दिय जनवासा फिरि पथरीगढ़ पाछे शर्बत दीन पठाय ॥ आदर करिकै सूरज ठाकुर चाँदी आबखोर मँगवाय ६ लै अबखोरा भरि त्यहि शर्वत आल्हा पास पहुंचा जाय । जब अबखोरा आल्हा लीन्यों सम्मुख भई छींक तब आय ७ ऊदन बोले तब देवा ते अब तुम शकुन बताओभाय ।। देवा बोला तब ऊदन ते साँची सुनो लहुरवाभाय ८ कालरूप यहु शर्बत आयो सबकी मृत्यु गई नगच्याय ।। धारि जनेऊ तब काने में सूरज उठा तड़ाका भाय ६ ऊदन बोले तव आल्हा ते कुत्तै देवो आप पियाय ॥ जो मरिजावै पी कुत्ता यह तो सब जहर देव फिकवाय १० इतना सुनिक नेगी चलिमे मारन लागि लहुरवा माय ।। बड़े दयालू आल्हा बोले ऊदन छाँड़ि देव यहि ठायँ ११ मजा हमारी सम परजा हैं ठाकुर भागि गयो भयखाय ।। नामी ठाकुर तुम मोहवे के इनपर दयाकरो यहि ठाये १२ माधै राजा के नौकर हो तुम्हरो करे काह उपकार ।।