नित प्रति पाठ होयँ दुर्गाके औ तहँ करें यती नित बास॥
बिधिसों पूजन जोकोउ कीन्ह्यो पूरणभई तासु की आस २
अगे दरक्खत है नींवी का बायें पीलूका अधिकार॥
बरगद पीपर गूलर दहिने जिनकीशोभा अमितअपार३
प्रातःकाल नारि सब जावैं ध्यावैं देवी चरण मनाय॥
सायंकाल पुरुष सब जावैं गावैं वेद ऋचन को जाय ४
पिता हमारे किंरपाशङ्कर तहँपर पाठकीन बहुकाल॥
फिरिम्बहिं सौंप्यो तिनदेबीका मानो सत्य सत्य सब हाल ५
तेरह बरसैं हमका गुजरीं चाकरभये नवल दरबार॥
छट्टी लैकै नवरात्रन में जावैं अवशि महीना क्वार ६
पाठ सुनावैं श्री दुर्गा की बालेश्वरी शरण में जाय॥
जो कुछ मनमें हमरे होवै सो अभिलाष पूरि ह्वैजाय ७
प्रथम भागवत तहँपर बाँची साँची कथा कहौं सब गाय॥
रुक्यों न काहू पदमें तहँ पर देवी कृपाभई अधिकाय ८
छूटि सुमिरनी गै देबी कै सुनिये जयचँद क्यारहवाल॥
चन्दभाट दिल्लीको जाई आई दिल्लीका नरपाल ९
अथ कथाप्रसंग॥
भोर भ्वरहरे पह फाटत खन सोयकै उठा कनौजीराय॥
प्रातक्रिया करि सब जलदी सों फिरि दरबार पहूंचा आय १
बैठ्यो राजा सिंहासन पर भारी लागि गयो दरबार॥
किह्यो पैलगी सब बिप्रनको क्षत्रिन कीन्ह्यो राम जुहार २
बूढ़ बिप्रसों फिरि बोलतभा दिल्ली कौन पठावा जाय॥
सुनिकै बातें चन्देले की बोल्यो बिप्र बबन हर्षाय ३
चन्दभाटको तुम पठवो अब सो पिरथीका लवै बुलाय॥