पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/१८

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संयोगिनिस्वयम्बर। १३ नित प्रति पाठ होयँ दुर्गाके औ तह करें यती नित वास ।। विधिसों पूजन जोकोउ कीन्यो पूरणमई तासु की आस २ अगे दरक्खत है नींवी का बायें पीलूका अधिकार ॥ बरगद पीपर गूलर दहिने जिनकीशोभा अमितअपार३ प्रातःकाल नारि सब जा ध्या३ देवी चरण मनाय ।। सायंकाल पुरुष सब जावे गावं वेद ऋचन को जाय ४ पिता हमारे किरपाशङ्कर तहँपर पाठकीन बहुकाल । फिरिम्बहिं सौंप्यो तिनदेवीका मानो सत्य सत्य सब हाल ५ तेरह बरसैं हमका गुजरी चाकरभये. नवल दरवार ।। छट्टी लेके नवरात्रन में जावें अवशि महीना कार ६ पाठ सुनावें श्री दुर्गा की बालेश्वरी शरण में जाय ।। जो कुछ मनमें हमरे हो सो अभिलाष पूरि लैजाय ७ प्रथम भागवत तहँपर बाँची साँची कथा कहाँ सर्व गाय ॥ रुक्यों न काहू पदमें तहँ पर देवी कृपामई अधिकायम छूटि सुमिरनी गै देवी के सुनिये जयचंद क्यारहवाल॥ चन्दभाट दिल्लीको जाई आई दिल्लीका नरपाल : अथ कथामसंग ।। भोर भ्वरहरे पह फाटत खन सोयकै उठा कनौजीराय ।। प्रातक्रिया करि सब जलदी सों. फिरि दरबार पहूंचा आय : बैठयो राजा सिंहासन पर भारी लागि गयो दरवार । कियो पैलगी सब बिपनको क्षत्रिन कीन्यो राम जुहार २ बूढ़ विप्रसों फिरि बोलतमा दिल्ली कौन पठावा जाय ॥ सुनिकै बातें चन्देले की बोल्यो विप्र बबन हर्षाय ३ चन्दभाटको तुम पठवो अब सो पिरथीका लवै वुलाय॥