पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/१८२

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मलखानका विवाह । १७७ डोला जाई जब मोहवे को तुमको द्रब्य देउँअधिकाय ७३ इतना सुनिकै मालिनि चलिभै फाटक उपर पहूँची आय ॥ सूरज वेटा गजराजा को द्वारे ठाढरहै सो भाय ७४ सोहँसि वोलातहमालिनि सों मालिनि कहाँ चली तू धाय ॥ मालिनि बोली तहँ सूरज सों. बेटा फूल लेन को जायँ ७५ मोहिं पठायो गजमोतिनि है तुम सों सत्य दीन बतलाय ॥ सूरज बोला दरवानिन सों याकी लेउ तलाशी भाय ७६ सुनिक बातें ये सूरज की नंगाझोरी लीन कराय ।। चिट्ठी खोंसे सो जूरा में ताको पता मिला नहिं भाय७७ मालिनि चलिभैफिरिआगेको फौजन पास पहूँची जाय ॥ जहँ जनवासा था आल्हा का मालिनिअटीतहांपर आय ७८ मालिनि पूछयो तहँ माहिलसों कहँ पर बैठ उदयसिंहराय॥ माहिल पूछयो तहँ मालिनिसों आपन हाल देय बतलाय ७६ नाम हमारो उदयसिंह है आई कौन काज तू धाय ।। मुनिकै बातें ये माहिल की मालिनि कथागई सबगाय ८० सुनिकै बातें सब मालिनिकी माहिल चाबुक लीन उठाय ॥ पीटन लाग्यो सो मालिनिको औ यह कह्योबचनसमुझाय८१ जल्दी जावै घर अपने को अब ना कहे कथा अस गाय।। बड़े जोर सों मालिनि रोई पहुँचा उदयसिंह तब आय ८२ पुछी हकीकति उदयसिंह तब मालिनि कथागई फिरिगाय ॥ मोहिं पठायो गजमोतिनिह चिट्ठी हाथ दीन पकराय ८३ पढ़ते चिट्ठी बघऊदन के आँखन वही आँसुकी धार॥ डाटन लाग्यो फिरि माहिलको का तुम कीनचहौ अपकार ८४ सुनिक बाते बघऊदन की बोला उरई का सरदार ॥