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पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/१८४

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मलखानका बिवाह। १७९

तिसर नगाड़ा के बाजतखन चलिभे सबै शूर सरदार ९७
कूच करायो पथरीगढ़ते झुन्नागढ़ै पहूँचे जाय॥
गा हरिकारा पथरीगढ़ते राजै खबरि दीन बतलाय ६८
सुनिकै बातैं हरिकारा की सूरज बेटा लीन बुलाय॥
काँतामल औं मानसिंह सो राजा कह्यो खूब समुझाय ९९
जितने आये हैं मोहबेते सो बिन घाव एक ना जायँ॥
बिदा माँगिकै सो राजा सों डङ्का तुरत दीन बजवाय १००
झीलमबखतरपहिरिसिपाहिन हाथम लीन ढाल तलवार॥
रणकी मौहरि बाजन लागी रणका होनलाग व्यवहार १०१
कूच करायो झुन्नागढ़ सों पहुँचे समरभूमि मैदान॥
ढोल औ तुरही बाजन लागीं घूमनलागे लालनिशान १०२
इतसों आगे सूरज ठाकुर उतसों बेंदुलको असवार॥
सूरज ठाकुर के देखत खन ऊदन गरू दीन ललकार १०३
छालिकै लैकै मलखाने को औ खन्दक में दीन डराय॥
बिना बिहाये हम जैहैं ना चहुतन धजी२ उड़िजाय १०४
इतना सुनिकै सूरज जरिगे अपनो घोड़ा दीन बढ़ाय॥
औ ललकारा उदयसिंह को अब तुम खबरदार ह्वैजाय १०५
बार हमारी सों बचिहैना ऊदन मोहबे के सरदार ॥
इतना कहिकै सूरज ठाकुर जल्दी खैंचिलीन तलवार १०६
ऐंचिकै मारा बघऊदन को ऊदन लीन्ह्यो वार बचाय॥
मानसिंह औ फिरि देबाका परिगा समर बरोबरि आय १०७
सूँढ़ि लपेटा हाथी भिड़िगे अंकुश भिड़े महौतन केर॥
हौदा हौदा यकमिल ह्वैगे मारैं एक एक को हेर १०८
गोली ओलासम बर्षत भइँ कहुँ कहुँ कड़ाबीनकी मार॥

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