पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/१८४

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मलखानका विवाह । १७६ २३ तिसर नगाड़ा के बाजतखन चलिमे सबै शूर सरदार ६७ कूच करायो पथरीगढ़ते मुन्नागढ़े पहूँचे जाय । ॥ गा हस्किारा पथरीगढ़ते राजै खबरि दीन बतलाय ६८ मुनिकै बातें हरिकारा की सूरज बा लीन बुलाय ॥ काँतामल औं मानसिंह सो राजा कह्यो खूब समुझाय ६६ जितने आये हैं मोहबेते सो बिन घाव एक ना जायँ । विदा माँगिकै सो राजा सों डका तुरत दीन बजवाय १०० झीलमबखतरपहिरिसिपाहिन हाथम लीन दाल तलवार ।। रणकी मौहरि वाजन लागी रणका होनलाग व्यवहार १०१ कूच करायो मुन्नागढ़ सों पहुँचे समरभूमि मैदान । दोल औ तुरही बाजन लागी घूमनलागे लालनिशान १०२ इतसों आगे सूरज ठाकुर उतसों बेंदुलको असवार । सूरज ठाकुर के देखत खन ऊदन गरू दीन ललकार १०३ छालके लकै मलखाने को औ खन्दक में दीन डराय ।। बिना बिहाये हम जैहैं ना चहुतनधजीर उडिजाय १०४ इतना सुनिकै सूरज जरिंगे' अपनो घोड़ा दीन बढ़ाय ।। औ ललकारा उदयसिंह को अब तुम खबरदार लैजाय ? वार हमारी सों बचिहैना ऊदन मोहबे के सरदार ॥ इतना कहिके सूरज ठाकुर जल्दी संचिलीन तलवार १०६ चिकै मारा बघऊदन को ऊदन लीन्हो वार बचाय ! मानसिंह औ फिरि देवाका परिंगा समर बरोबरि आय१०७ सदि लपेटा हाथी भिडिगे अंकुश भिड़े महौतन केर ।। हौदा होदा यकमिल हैंगे मारे एक एक को हेरै १०८ गोली ओलासम वर्षत भई कहुँ कहुँ कड़ावीनकी मार ॥ +