पांच कदम पर बरछी छूटैं भालन तीन कदम पर मार॥
कदम कदम पर चलैं कटारी ऊनाचलै बिलाइति क्यार १५६
तेगा धमकैं बर्दवान के कटि कटि गिरैं शूर सरदार॥
बड़ी लड़ाई दोउ दल कीन्ह्यो नदिया बही रक्तकी धार १५७
सूरज ऊदन फिरि दोऊ का परिगा समर बरोबरि आय॥
दोऊ मारैं दोउ ललकारैं दोऊ लेवैं वार बचाय १५८
को गति बरणै तहँ दोऊकै दोऊ समर धनी सरदार॥
बैस बरोबरि है दोऊ कै दोऊ खूब करैं तलवार १५९
यहु रणरंगी लै असि नंगी जंगी मैनपुरी चौहान॥
धरि धरि धमकै रजपूतन को देवा बड़ा लड़ैया ज्वान १६०
को गति बरणे कंतामल की हंता क्षत्रिन को सरदार॥
फिरि फिरि मारे औ ललकारै दोऊ हाथ करै तलवार १६१
सिर्गा घोड़ा की पीठी पर सय्यद बनरस का सरदार॥
अली अली कहि जैसी दौरै भागैं गली गली सबयार १६२
भली भली कहि ऊदन वोलें कॉ थली थली सरदार॥
हली हली तहँ पृथ्वी डोलै काँपैं डली डली लखिमार १६३
को गति बरणै तहँ सूरज की यहु गजराजा केर कुमार॥
खैंचि सिरोही ली कम्मर सों ऊदन उपर हनी तलवार १६४
वार बचाई बघऊदन ने आपो दियो तड़ाका मार॥
परी सिरोही सो घोड़ा के औशिरगिर्योतुरतत्यहिबार १६५
उतरि बेंदुलाते सूरज को पकर्यो उदयसिंह सरदार॥
बाधिकैं मुशकै सूरजमलकी बेंदुल उपर भयो असवार १६६
औ ललकार्यो कंतामल को क्षत्री खबरदार ह्वैजाय॥
घाटि बिसेनेने जस कीन्ह्यों तैसी सजा लेउ अवआय १६७
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आल्हखण्ड। १८४
