पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/१९

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१४ आल्हखण्ड देखन केरी अभिलाषा जो ओ महराज कनौजीराय ४ बूढ़े वाम्हन की बातें सुनि लीन्ह्यो चन्दभाट बुलवाय ॥ औसमुझायो फिरित्यहिकोसब यहु रणवाघु चंदेलोराय ५ सुनिक बातें चंदेले की चलिभो चन्दभाट शिरनाय । चढिके घोड़ाकी पीठीमाँ दिल्ली शहर पहूंचा जाय ६ जायकै पहुँच्यो त्यहिफाटकमाँ जहँ दरवार पिथौरा क्यार॥ दीख पौरिया चन्दभाट को गई हांक दीन ललकार ७ हुकुम दरो हुकुम दरो साहेबजादे बात बनाव ॥ कहाते आयो औ कह ही जल्दी आपन नाम बताव ८ मुनिकै वाते दवानी की बोल्यो चन्दभाट ततकाल ।। देश हमारो कनउज जानो जावे जहाँ बैठ नरपाल मोहिं पठायो जयचंद राजा हमरो चन्दभाट है नाँउ ।। खवारि जनावो पृथुइराज को ओ दरवानी वात वनाउ १० सुनिक बातें चन्दभाट की सो दबार सो दबार पहुंचा जाय ।। हाथ जोरिक दोउ वोलतभा औ चरणनमें शीशनवाय ११ चन्दभाट कनउज ते आयो ओ महराज पिथौराराय ।। हुकुम जो पावों महराजा को तो मैं लावों साथ लिवाय १२ मुनिक बातें दरवानी की बोले पृथीराज महराज ॥ लावो लावो त्यहि जल्दी सों आयोचन्दभाटक्यहिकाज१३ मुनिक वात महराजा की दौरत चला पौरिया जाय। सँग माँ लेकै चन्दभाट को औ दवार पहूंचा आय १४ चन्दमाट तब लखि पिरथी का दोऊ हाथ जोरि शिरनाय ।। कह्यो संदेशा चन्देला जो सो पिरथीका दियो सुनाय १५ मुनि संदेशा चन्देले का भा मन खुशी पिथौराराय॥